ईश्वर तेरे नाम पर , अल्ला तेरे नाम पर
जाने क्यों करते हैं इतना हल्ला तेरे नाम पर ?
पर्वत-पनघट, चिलमन -घूंघट
सबकी भाषा एक है
सागर से मिलने को व्याकुल
नदियों की आशा एक है !
लहरों के मीठे सरगम को किसने कुचला तेरे नाम पर
ईश्वर तेरे नाम पर , अल्ला तेरे नाम पर ?
धरती -सूरज, चाँद -सितारे ,
बादल-वर्षा एक हैं सारे ,
अनुवादों का सार एक है ,
एक हैं सबके अर्थ-इशारे !
फिर भी उस दिन झुलसा क्यों मुहल्ला तेरे नाम पर ,
ईश्वर तेरे नाम पर , अल्ला तेरे नाम पर ?
सब में तेरा नेह-नीर है ,
गागर हो या सागर हो ,
उसे बेचने लगा आदमी
जाने क्यों सौदागर हो !
टिड्डी -दल सा खा जाते क्यों गल्ला तेरे नाम पर
ईश्वर तेरे नाम पर , अल्ला तेरे नाम पर ?
- स्वराज्य करुण
.
लाजवाब .
ReplyDeleteपोला की बधाई भी स्वीकार करें .
आभार रचना पढ़वाने का.
ReplyDeleteकृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
बहुत -बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....आभार
ReplyDeleteअक्सर रुखी रातों में
ishwar to ek bahaana hai. vastav me hamara agyaan aur nihit swaarth hame aur baaton k saath-saath ishwar k naam par bhi lada deta hai.
ReplyDeleteप्रेरक !
ReplyDeleteहौसला बढ़ाने के लिए आप सबका बहुत-बहुत आभार .
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