Wednesday, July 3, 2019

(आलेख ) गजराज आख़िर क्यों बन रहे यमराज ?

                                 - स्वराज करुण 

      हाथी जब किसी गाँव ,कस्बे या शहर  में अपने महावत के साथ घूमता है ,तो  लोगों के और विशेष रूप से बच्चों के आकर्षण का केन्द्र होता  है। ।
       उस समय लगता है इससे सीधा जानवर और कहीं नहीं मिलेगा , लेकिन बिना महावत का वही जंगली हाथी गाँवों में आतंक और उपद्रव का पर्याय बन जाता है ।   जैसा कि इन दिनों हमारे देश के कई राज्यों में देखा जा रहा है । जन -जागरण के तमाम अच्चेव प्रयासों के बावज़ूद जंगल घटते जा रहे हैं और वन्य प्राणियों के लिए चारे - पानी की समस्या बढ़ती जा रही है !
      ऐसे में   किसी जंगली हाथी को या उसके झुण्ड को जंगल में खाने को कुछ न मिले तो वह  गाँवों में आकर किसानों की खड़ी फ़सल को  चट कर जाते हैं और तोड़फोड़ में भी पीछे नहीं रहते । इतना ही नहीं ,बल्कि कई बार तो ये जंगली हाथी निरीह इंसानों को  बड़ी बेरहमी से कुचलकर मार डालते हैं ।  इंसानों को तब समझ में आता
 है कि गजराज आख़िर क्यों इस तरह  'यमराज '  बनते जा रहे हैं !
    बहरहाल , मुझे उस दिन  शहर के एक बाज़ार में महावत के साथ स्थानीय बच्चों को अपनी पीठ पर बैठकर  चहलकदमी करता एक हाथी मिल गया ,तो मेरे मोबाइल  ने उसे अपने कैमरे में कैद कर लिया । बाकी दो तस्वीरें  सर्च इंजन Google से साभार ।
        --स्वराज करुण