Friday, September 17, 2010
गीत
युद्ध के मैदान में !
, आंसुओं की वृष्टि है और दुखों की सृष्टि है ,
तुम मेरी करुणा हो सुनो युद्ध के मैदान में !
संघर्ष है कठिन बहुत
जीवन -मरण का प्रश्न है.
इस तरफ मायूसियाँ
उस ओर खूब जश्न है !
वेदनाएं रिसती हैं , आंसुओं की वृष्टि है ,
सितारों के नम हैं नयन नीले आसमान में !
गांव हैं सुनसान और
शून्य हैं पगडंडियां.
जीवन की भाग-दौड़ में
सपनों की बिकती मंडियां !
हर तरफ अंधेरी दृष्टि है , और दुखों की सृष्टि है,
तुम्हीं तो हो आशा का नया सूर्य इस विहान में !
स्वराज्य करुण
.
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अद्भुत रचना ....आभार
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें ...
विरक्ति पथ
हर तरफ अंधेरी दृष्टि है , और दुखों की सृष्टि है,
ReplyDeleteतुम्हीं तो हो आशा का नया सूर्य इस विहान में !
दुःख से जन्मी निराशा में एक आशा की किरण जगाती हुयी आपका गीत सार्थक है. कभी तो कोई गायेगा ही.
आभार
कविता अगर आस पे खत्म ना होती तो मुझे बहुत दुख होता !
ReplyDeleteटिप्पणियों के लिए आप सबको धन्यवाद.
ReplyDeleteHedar sundar dikhai de raha hai.
ReplyDeleteShubhkamnayen..................
ali g ki tippani se puri tarah sahmat
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