पूछ रहे हैं मंदिर-मस्जिद ,पूछ रहे हैं काशी-काबा ,
रंग-बिरंगी इस दुनिया मे आखिर कब तक खून-खराबा !
कहीं धरा के नाम पर
कहीं गगन के नाम पर ,
कहीं नदी के नाम पर
कहीं चमन के नाम पर !
होगी कब तक झूमा -झटकी, चलेगा कब तक शोर-शराबा ,
रंग-बिरंगी इस दुनिया में आखिर कब तक खून-खराबा !
छोटी-छोटी बातों पर क्यों
आपस में ही लड़ना -भिड़ना ,
अपने ही सपनों की ह्त्या
अपनी ही आँखों से गिरना !
जीवन की यह सड़क है लम्बी , दूर बहुत है मंजिल बाबा,
रंग-बिरंगी इस दुनिया में आखिर कब तक खून-खराबा !
मतलब की खातिर बेचे
अपने ऊंचे उसूलों को ,
तोडी कितनी कलियाँ न जाने
कुचले कितने फूलों को !
.
दिल की रोकड़ -पंजी में, अब तक हमने नहीं हिसाबा ,
रंग-बिरंगी इस दुनिया में आखिर कब तक खून-खराबा !
- स्वराज्य करुण
अच्छी पंक्तिया है ....
ReplyDeletehttp://oshotheone.blogspot.com/
मतलब की खातिर बेचे अपने ऊंचे उसूलों को ,
ReplyDeleteतोडी कितनी कलियाँ न जाने कुचले कितने फूलों को !
दिल की रोकड़ -पंजी में अब तक हमने नहीं हिसाबा.
सुंदर पंक्तियाँ
दिली अहसास के साथ दिल की बात
सलाम है आपके जज्बे को
आभार
शिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की बधाई
behad sundar vichar, behad sundar kavita
ReplyDeleteSundar Abhivyakti...Aabar
ReplyDeleteआप सबकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया के लिए
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद .
सुन्दर , प्रेरक रचना !
ReplyDeleteअली साहब को उनकी प्रतिक्रिया के लिए
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद .उम्मीद है -आगे भी
स्नेह बनाए रखेंगे