फिर भी उसका दावा है कि एक वही तो सच्चा है !
राम-रहीम की जन्म भूमि के झगडों में ही उलझे सब ,
कौन झाँकने जाए किसके घर का चूल्हा कच्चा है !
आज रुदन के बीच ये कैसी ज़हरीली आवाजें हैं ,
शीश महल के हर कोने में सिर्फ सियासत रक्षा है !
जो कहते हैं खुद को मानवता का रक्षक दावे से ,
आज उन्होंने इंसानों को खुले आम फिर भक्षा है !
जाति-धर्म के भेद-भाव में पढ़े-लिखे भी बहक गए
इससे तो अनपढ़ रह जाना मित्र बहुत ही अच्छा है !
पढ़े-लिखे भी बहक गए. लेकिन उसका दावा है कि एक वही तो सच्चा है !sateek saffaak bebaak
ReplyDeleteसार्थक लेखन !
ReplyDeleteजाति-धर्म के भेद-भाव में पढ़े-लिखे भी बहक गए
ReplyDeleteइससे तो अनपढ़ रह जाना मित्र बहुत ही अच्छा है
बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने .......
पढ़िए और मुस्कुराइए :-
कहानी मुल्ला नसीरुद्दीन की ...87
त्वरित टिप्पणियों के लिए आप सबका आभार .
ReplyDeleteबहुत सार्थक लेखन ....सच ही इससे तो अनपढ़ ही ठीक ..
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