Saturday, September 18, 2010

आधी आबादी को भी बराबरी का अधिकार

     लोकतंत्र में जनता के मूल्यवान मतों से चुनी हुई सरकारों का जनता के प्रति क्या फ़र्ज़ होता है, इसे देखना और समझना हो, तो आप  छत्तीसगढ़ को देखें और यहाँ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन  सिंह की मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण कार्य-शैली को समझने की कोशिश करें , जिन्होंने स्कूली बालिकाओं और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को मुफ्त सायकल देने की लोकप्रिय योजनाओं की सफल शुरुआत कर उन्हें कामयाबी के साथ अमलीजामा भी पहनाया . खेतिहर महिला श्रमिकों को खेतों में काम के समय बारिश में भीगने से बचाने के लिए निःशुल्क बरसाती (रेन-कोट )  देने की योजना शुरू की . अब  उन्होंने भवन -निर्माण उद्योग में लगी  महिला-मजदूरों के लिए निःशुल्क सायकल वितरण की योजना का आगाज़  किया है.यह महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से  ऊर्जावान बनाने के रमन सरकार के नेक इरादे की एक अनोखी  झलक है. छत्तीसगढ़ में महिला-पुरुष जनसंख्या लगभग बराबरी पर है. राज्य में एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 989 है ,जो केरल के बाद देश में  दूसरे नंबर पर है. इसलिए भी छत्तीसगढ़ में महिलाओं को  हर क्षेत्र में पुरुषों के सम-कक्ष अधिकार देकर विकास की मुख्य धारा में स्वाभिमान के साथ उनके समानांतर खड़े होने का अवसर दिया जा रहा है .

    राज्य की आधी आबादी को शेष आधी आबादी की बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए  पिछले करीब सात वर्ष में ऐसे कई शानदार कदम उठाए गए  हैं, जिनसे  महिला-सशक्तिकरण के लिए रमन-सरकार की वचनबद्धता का परिचय मिलता है मिसाल के तौर पर 9724 ग्राम-पंचायतों , 146 जनपद-पंचायतों और 18 जिला-पंचायतों में क्रमशः पंच-सरपंच , अध्यक्ष और सदस्य के चुनाव में उनके लिए पदों का आरक्षण तैतीस प्रतिशत से बढ़ा कर पचास प्रतिशत कर दिया गया है इसके उत्साहजनक नतीजे देखे गए..इस वर्ष इन तीनों श्रेणियों की  पंचायतों के आम-चुनाव में डेढ़ लाख से ज्यादा पदों के लिए मतदान हुआ ,जिसमे आधे से अधिक याने कि करीब   86 हजार  पदों पर महिलाएं  काबिज़ हुईं ,जो आज गाँवों  के विकास में निर्णायक -भूमिका में हैं . राज्य में   महिलाओं के लगभग चौहत्तर हजार स्वयं-सहायता समूह हैं ,जिनमे साढ़े  आठ लाख से ज्यादा महिलाएं सदस्य हैं . उनके द्वारा छोटी-छोटी बचतों के जरिए बैंकों में  तिरेपन करोड़ रूपए से भी ज्यादा राशि की बचत की गयी है. उन्हें छत्तीसगढ़ महिला कोष से अपने समूह के लिए  पचास  हजार रूपए तक ऋण दिया जा रहा है . मात्र साढ़े छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर  इन महिला समूहों को विभिन्न व्यवसायों के लिए ऋण मिल सकता है .सार्वजनिक वितरण प्रणाली की करीब साढ़े दस हजार उचित मूल्य दुकानों में से दो हजार 229 दुकानें महिला स्वयं-सहायता समूहों को सौंपी गयी है.यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि  डेढ़ लाख से ज्यादा स्कूली-बालिकाओं और चौंतीस हजार से ज्यादा आँगन-बाड़ी कार्यकर्ताओं को मुफ्त सायकल देने के बाद अब महिला-श्रमिकों को निःशुल्क देने की योजना वाकई छत्तीसगढ़ की महिलाओं के जीवन में बदलाव की बयार ले कर आयी है .
   अब ये कर्मवीर महिलाएं अपने कर्म-क्षेत्र में सायकल से आना-जाना करेंगी. इससे उनका समय बचेगा और वे काम  खत्म होने के बाद जल्द -से-जल्द घर पहुँच सकेंगी.सायकल के पहिए उनके जीवन में विकास की गति बढ़ा कर उन्हें खुशहाली की ओर ले जाएँगे .  इस योजना में महिलाओं को यह विकल्प भी दिया गया है कि अगर वे सायकल नहीं लेना चाहती हैं ,तो राज्य सरकार उन्हें निःशुल्क सिलाई -मशीन देगी ताकि वे कपड़े  सिलकर अपने घर-परिवार के लिए कुछ अतिरिक्त आमदनी हासिल कर सकें ..इसके लिए उन्हें सिलाई-प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. डॉ. रमन  सिंह की सरकार ने गरीबी-रेखा से ऊपर याने कि ए.पी .एल.श्रेणी के उन मेहनतकश मजदूरों को भी राष्ट्रीय स्वस्थ्य बीमा योजना में शामिल करने का फैसला किया है, जो असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं उन्हें इस बीमा योजना के तहत सरकारी और निजी क्षेत्र के पंजीकृत अस्पतालों में एक साल में अपने परिवार के लिए तीस हज़ार रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी. इसके लिए उन्हें स्मार्ट-कार्ड दिए जाएंगे. सूबे के मुखिया डॉ. रमन  सिंह ने राजधानी रायपुर में 17 सितम्बर को श्रम और सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा जी की जयन्ती के मौके पर शहीद स्मारक भवन में हुए एक समारोह में दो सौ  महिला-श्रमिकों को सायकल और असंगठित-क्षेत्र के मज़दूरों को स्वास्थय -बीमा योजना का स्मार्ट कार्ड देकर इन योजनाओं की शुरुआत कर दी.उन्होंने इस मौके पर भवन-निर्माण उद्योग में राज-मिस्त्री , प्लंबर , इलेक्ट्रीशियन  जैसे कार्यों में लगे करीब ढाई सौ श्रमिकों को निःशुल्क औज़ार देकर राज्य के सभी ऐसे श्रमिकों के लिए मुफ्त औजार वितरण की योजना का भी शुभारम्भ किया.
    मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि इस साल राज्य में भवन-निर्माण से जुड़े लगभग दस हजार  मजदूरों को उनकी दक्षता बढ़ाने के लिए सरकारी खर्च पर दो-तीन माह का प्रशिक्षण  दिलाया जाएगा . इस ट्रेनिंग में हर मजदूर पर दस हज़ार रूपए का  खर्च प्रदेश सरकार  देगी भगवान विश्वकर्मा की जयन्ती राज्य सरकार की पहल पर छत्तीसगढ़ श्रम दिवस के रूप में भी मनाई जाती है.ऐसे में श्रमिकों के हित में इस प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत के लिए इससे अच्छा दिन और क्या हो सकता था ? श्रम-दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ की श्रम-शक्ति को मुख्य मंत्री के हाथों सचमुच एक बड़ा सम्मान मिला है . इन योजनाओं के सकारात्मक नतीजे निश्चित रूप से ज़ल्द सामने आएँगे .यह कहने का ठोस आधार भी है . उदाहरण ले लीजिए . राज्य में हाई-स्कूल और हायर-सेकेंडरी स्कूल स्तर पर अनुसूचित-जातियों , जन-जातियों और गरीबी-रेखा श्रेणी की बालिकाओं को मुफ्त सायकल देने की योजना का सबसे अच्छा असर ये हुआ है कि स्कूलों में हमारी बेटियों की चहल-पहल एकदम से बढ़ गयी है .सवेरे और शाम छत्तीसगढ़ की इन बेटियों को झुण्ड के झुण्ड  सायकलों से स्कूल आते-जाते देखना उनके माँ-बाप के साथ-साथ हम जैसे आम-नागरिकों के लिए भी सचमुच काफी सुकून भरा अनुभव होता है.कि हमारी बेटियाँ सायकल से स्कूल जा रही हैं ! बेटियाँ पढ़ेंगी , आगे बढेंगी और अपने घर -परिवार राज्य और देश का  नाम  रौशन करेंगी .यह सुकून भरा अनुभव पहले कहाँ था ?
    पहले किसने सोचा था कि बढ़ती महंगाई के इस दौर में छत्तीसगढ़ के छत्तीस लाख से ज्यादा गरीब परिवारों को सिर्फ एक रूपए और दो रूपए किलो में  हर महीने पैंतीस किलो के हिसाब से बेहद किफायती चावल मिलेगा . दो किलो नमक मुफ्त मिलेगा ,  किसानों को  सिंचाई के लिए पांच हार्स पावर के पम्पों पर सालाना छह हज़ार यूनिट बिजली निःशुल्क मिलेगी,  उन्हें  खेती के लिए सहकारी समितियों से  सिर्फ तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर सबसे सस्ते क़र्ज़ की सुविधा मिलेगी, गरीब परिवारों के ह्रदय-रोग से पीड़ित बच्चों के दिलों के खर्चीले  ऑपरेशन सरकारी खर्च पर होंगे ,  लाखों स्कूली बच्चों को पाठ्य पुस्तकें मुफ्त मिलेंगी, गाँव-गाँव में सड़कों का जाल बिछेगा,  खेती के लिए सिंचाई-सुविधाओं का विस्तार होगा  और  सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.)  में 11.49  की विकास दर के साथ छत्तीसगढ़ विकास  की राह पर भारत के अन्य सभी राज्यों से काफी आगे निकल जाएगा . डॉ. रमन सिंह की  सरकार ने जनता को यह सुकून भरा अहसास दिलाया.इसी  कड़ी में भवन-निर्माण में लगी महिला-श्रमिकों के लिए मुफ्त सायकल की योजना और सायकल के विकल्प में सिलाई मशीन देने की पेशकश यह साबित करती है कि महिला-सशक्तिकरण की भावना को ज़मीन पर साकार करने की सार्थक पहल छत्तीसगढ़ में हो रही है. इस योजना के साथ-साथ प्रदेश के भवन-निर्माण श्रमिकों को निःशुल्क औजार वितरण और  राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में  स्मार्ट कार्ड वितरण की शुरुआत  से एक बार फिर  मेहनतकश गरीबों के प्रति रमन  सरकार की सामाजिक प्रतिबद्धता को साफ़-साफ़ महसूस किया जा सकता है .
                                                                                                              स्वराज्य करुण 

2 comments:

  1. मेरे ख्याल से आपको दो ब्लाग बना लेना चाहिये ! एक व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के लिये और दूसरा शासकीय नीतियों के प्रसार के लिये !

    बहरहाल अच्छा आलेख !

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