स्वराज्य करुण
- स्वराज्य करुण
दिन के उजाले की तरह साफ़-साफ़ है,
सारे सबूत आज उनके ही खिलाफ हैं !
है कौन यहाँ कातिल और कौन लुटेरा ,
जान कर भी उनके सब गुनाह माफ हैं !
चोरों को मिली चाबी हुकूमत-ए-वतन की ,
मुजरिमों की अदालत में कहाँ इन्साफ है !
रिश्वत की कमाई से है लॉकर भी लबालब ,
पकड़े गए तो आपस में हुआ हाफ-हाफ है !
खेतों में चला बुलडोज़र ,जंगल में तबाही ,
विकास के नाम कितना घनघोर पाप है !
गाँवों की ओर चल पड़े शहरों से माफिया ,
मासूम किसानों पर किसका अभिशाप है ! - स्वराज्य करुण
@रिश्वत की कमाई से हैं लॉकर भी लबालब ,
ReplyDeleteपकड़े गए तो आपस में हुआ हाफ-हाफ है !
हिन्दी चीनी भाई भाई
रिश्वत की कमाई से हैं लॉकर भी लबालब ,
ReplyDeleteपकड़े गए तो आपस में हुआ हाफ-हाफ है !
सही बात है। बहुत खूब्!
अच्छा व्यंग है ..खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteवाह क्या बात है!!!! अच्छा व्यंग है
ReplyDeleteबहुत खूब, शानदार। करारा व्यंग्य.
ReplyDeleteदिन के उजाले की तरह साफ़-साफ़ है,
ReplyDeleteसारे सबूत आज उनके ही खिलाफ हैं !
acchi rachna hai aabhaar aur badhaai
sir ji
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बेहतरीन!
ReplyDeletemukhar prabhavkari rachna . achha sandesh .man ko
ReplyDeleteudvelit karta hua . aabhar .
वाह
ReplyDeleteआज कल के हालात का सुन्दर लेखा जोखा है आपकी इस गजल में.
खेतों में चला बुलडोज़र ,जंगल में तबाही ,
ReplyDeleteविकास के नाम कितना घनघोर पाप है !
गाँवों की ओर चल पड़े शहरों से माफिया ,
मासूम किसानों पर किसका अभिशाप है !
दिल का दर्द उजागर करती बेहद प्रभावशाली रचना।
गाँवों की ओर चल पड़े शहरों से माफिया ,
ReplyDeleteमासूम किसानों पर किसका अभिशाप है! ..........
अंतस को झकझोरती हुई रचना...
रिश्वत की कमाई से है लॉकर भी लबालब ,
ReplyDeleteपकड़े गए तो आपस में हुआ हाफ-हाफ है !
ये हाफ-हाफ का प्रयोग बहुत अच्छा और मज़ेदार है.
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल की तासीर ... हर शेर उम्दा है .. सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें ...
ReplyDeleteबदलते समय की तस्वीर
ReplyDeleteहै कौन यहाँ कातिल और कौन लुटेरा ,
ReplyDeleteजान कर भी उनके सब गुनाह माफ हैं !
gazab ki gazal kahi, puri vyavastha par karari chot ki he
sadhubaad sahib
है कौन यहाँ कातिल और कौन लुटेरा ,
ReplyDeleteजान कर भी उनके सब गुनाह माफ हैं !
bahut karari chhot vyavastha par
sundar gazal
sadhubaad