स्वराज्य करुण
भोली आँखों से दुनिया को निहारे सीधे-सादे लोग,
समझ न पाए इस फरेबी महफ़िल के इरादे लोग !
भोली आँखों से दुनिया को निहारे सीधे-सादे लोग,
समझ न पाए इस फरेबी महफ़िल के इरादे लोग !
नकाबपोशों के शहर में नक्कालों का स्वागत खूब ,
दहशत में जाने कहाँ गए इस बस्ती के आधे लोग !
सच्चाई की बात भी करना पागलपन कहलाता है
झूठी कसमों के संग करते सौ-सौ झूठे वादे लोग !
झूठी कसमों के संग करते सौ-सौ झूठे वादे लोग !
उल्टी-सीधी चालें चलती चालबाज की माया है ,
नासमझी में बन जाते हैं सियासतों के प्यादे लोग !
हीरे-मोती की लालच में चीर रहे धरती का सीना ,
खेती के रिवाज़ को चाहें पल-भर में गिरा दें लोग !
उनकी पुस्तक में न जाने दिल वालों का देश कहाँ ,
शायद असली के बदले दिल नकली दिलवा दें लोग
शायद असली के बदले दिल नकली दिलवा दें लोग
वक्त आ गया अब चलने का इस मुसाफिरखाने से ,
आने वाले हैं यहाँ भी दलालों के शहजादे लोग !
- स्वराज्य करुण
@नकाबपोशों के शहर में नक्कालों का स्वागत खूब ,
ReplyDeleteदहशत में जाने कहाँ गए इस बस्ती के आधे लोग !
जीये खाए बर गे हे..........
नकाबपोशों के शहर में नक्कालों का स्वागत खूब ,
ReplyDeleteदहशत में जाने कहाँ गए इस बस्ती के आधे लोग !
उनकी पुस्तक में न जाने दिल वालों का देश कहाँ ,
शायद असली के बदले दिल नकली दिलवा दें लोग
wah bhai wah dil khush ho gaya