- स्वराज्य करुण
देखो धरती के आंचल में लहराया आज वसंत
दिशा-दिशा हर फुलवारी में छाया आज वसंत !
खेतों और खलिहानों में ,
सजे-धजे परिधानों में ,
जंगल-जंगल झूमे मौसम
बस्ती-बस्ती घूमे मौसम !
लिए प्यार की एक पाती आया आज वसंत ,
दिशा-दिशा हर फुलवारी में छाया आज वसंत !
इन्द्रधनुषी रंगों वाला
आज यहाँ का हर उपवन है ,
वासन्ती घूंघट में शर्मीली
देखो सरसों की दुल्हन है !
हर घर के हर आंगन में समाया आज वसंत
दिशा-दिशा हर फुलवारी में छाया आज वसंत !
अमराई में कोयल भी अब
लगी बजाने बांसुरी ,
कहती सबको रहो प्रेम से
छोड़ो आदत आसुरी !
माटी के कण-कण में हमने पाया आज वसंत ,
दिशा-दिशा हर फुलवारी में छाया आज वसंत !
लाल-लाल अंगारों जैसा
खिले पलाश के फूल ,
घर के चूल्हे की आंच -सा
मिले पलाश के फूल !
मन के मन-भावन भावों को भाया आज वसंत ,
दिशा-दिशा हर फुलवारी में छाया आज वसंत !
-- स्वराज्य करुण
हर घर के हर आंगन में समाया आज वसंत
ReplyDeleteदिशा-दिशा हर फुलवारी में छाया आज वसंत !
sunder rachna
aabhar
तस्वीर की तरह ही सुंदर शब्द.
ReplyDeleteसुंदर गीत आभार
ReplyDeleteआदरणीय स्वराज्य करुण जी
ReplyDeleteनमस्कार !
सुंदर गीत.........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत खूब ! बनन में बागन में बगरयो बसंत है याद आ गया !
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDelete