स्वराज्य करुण
युद्ध की आग में जलाओ मत इंसान को ,
धरती को , सागर को और आसमान को !
मरने वाला भी तुम्हारे जैसा कोई इंसान था ,
क्यों मिटाने लगे इंसानियत के निशान को !
सबको है जीने का अधिकार सुनो दुनिया में ,
हर किसी को प्यार दो, छोड़ कर अभिमान को !
दिल में रखो प्यार के ज़ज्बात सभी के लिए
भगाओ हमेशा के लिए भीतर के शैतान को !
क्यों खींचते रहे नफरत की लकीर नक्शों पर
भूल कर अमन-चैन , प्रेम की पहचान को !
मिटाओ मत गाँव ,शहर और अपने देश को
छोड़ दो आज ही तुम अपने इस गुमान को !
दूसरों की मेहनत से घर अपना भरते रहे ,
याद कब करोगे मजदूर और किसान को !
बंद करो बन्दूक - बारूद और धुंए के कारखाने ,
संवार लो ज़मीन पर खेत और खलिहान को !
महज़ रूपयों से पेट भरता नहीं इंसान का ,
समझाओ अपने दिल से दिल -ए-नादान को !
प्यार की हवा बहे , बनाओ ऐसी बस्तियां
पैगाम सुनाओ दोस्ती का , जंग के मैदान को !
स्वराज्य करुण
युद्ध की आग में जलाओ मत इंसान को ,
धरती को , सागर को और आसमान को !
मरने वाला भी तुम्हारे जैसा कोई इंसान था ,
क्यों मिटाने लगे इंसानियत के निशान को !
सबको है जीने का अधिकार सुनो दुनिया में ,
हर किसी को प्यार दो, छोड़ कर अभिमान को !
दिल में रखो प्यार के ज़ज्बात सभी के लिए
भगाओ हमेशा के लिए भीतर के शैतान को !
क्यों खींचते रहे नफरत की लकीर नक्शों पर
भूल कर अमन-चैन , प्रेम की पहचान को !
मिटाओ मत गाँव ,शहर और अपने देश को
छोड़ दो आज ही तुम अपने इस गुमान को !
दूसरों की मेहनत से घर अपना भरते रहे ,
याद कब करोगे मजदूर और किसान को !
बंद करो बन्दूक - बारूद और धुंए के कारखाने ,
संवार लो ज़मीन पर खेत और खलिहान को !
महज़ रूपयों से पेट भरता नहीं इंसान का ,
समझाओ अपने दिल से दिल -ए-नादान को !
प्यार की हवा बहे , बनाओ ऐसी बस्तियां
पैगाम सुनाओ दोस्ती का , जंग के मैदान को !
स्वराज्य करुण
वो सुबह कभी तो आएगी...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अमन के भाव है भाई साहब
ReplyDeleteअगर ये भाव सब में जागृत हो जाएं तो राम राज्य आ जाएगा।
बहुत ही शुद्ध भावनापूर्ण गज़ल. पढ़कर इच्छा लगा.
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