स्वराज्य करुण
दिल पत्थर का , घर पत्थर के , ये पत्थर की बस्ती है ,
धन-दौलत के दानव हैं जहां , मानव की क्या हस्ती है !
लूट सके जो इस दुनिया को खतरनाक इरादों से ,
सिर्फ उसी के मोह जाल में भोली दुनिया फँसती है !
पंछी-पर्वत ,नदिया -पनघट ,हर कोई है दहशत में
हरियाली के हत्यारों की हर पल धींगा -मस्ती है !
इंसानों का वेश बना कर घूम रहे कातिल सौदागर ,
बेच रहे जो जीवन महंगा , मौत भले ही सस्ती है !
पत्थर दिल वालों की महफ़िल में अपनी औकात कहाँ ,
हमें देख कर जिनकी आँखें नफरत से खूब हँसती हैं !
जाने कब बदलेंगे सपने, सचमुच यहाँ हकीकत में
तारीखों पर तारीख देती अदालतों की बेदिल नस्ती है !
- स्वराज्य करुण
दिल पत्थर का , घर पत्थर के , ये पत्थर की बस्ती है ,
धन-दौलत के दानव हैं जहां , मानव की क्या हस्ती है !
लूट सके जो इस दुनिया को खतरनाक इरादों से ,
सिर्फ उसी के मोह जाल में भोली दुनिया फँसती है !
पंछी-पर्वत ,नदिया -पनघट ,हर कोई है दहशत में
हरियाली के हत्यारों की हर पल धींगा -मस्ती है !
इंसानों का वेश बना कर घूम रहे कातिल सौदागर ,
बेच रहे जो जीवन महंगा , मौत भले ही सस्ती है !
पत्थर दिल वालों की महफ़िल में अपनी औकात कहाँ ,
हमें देख कर जिनकी आँखें नफरत से खूब हँसती हैं !
जाने कब बदलेंगे सपने, सचमुच यहाँ हकीकत में
तारीखों पर तारीख देती अदालतों की बेदिल नस्ती है !
- स्वराज्य करुण
sach ka bakhan karti kawita
ReplyDeletewish ka paan karti kawita
bahre kue kaano me
krandan gaan karti kawita
धान के खेतों में उगा रहे हैं पत्थर
ReplyDeleteपेट भरने को इन्ही की जरुरत है.
दिल पत्थर का , घर पत्थर के , ये पत्थर की बस्ती है ,
ReplyDeleteधन-दौलत के दानव हैं जहां , मानव की क्या हस्ती है !
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..
वाह !
ReplyDeleteपंछी-पर्वत ,नदिया-पनघट ,हर कोई है दहशत में
ReplyDeleteहरियाली के हत्यारों की हर पल धींगा-मस्ती है !
आजकल के हालात का अच्छा चित्रण।
सभी शेर मन पर अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं।
पत्थर दिल वालों की महफ़िल में अपनी औकात कहाँ ,
ReplyDeleteहमें देख कर जिनकी आँखें नफरत से खूब हँसती हैं !bahut khub