स्वराज्य करुण
राम हो, बलराम हो , तुलसी , रहीम , कबीर
सबके माथे खूब लगाओ प्यार भरा अबीर !
भेदभाव के भरम से निकलो,
सबको समझो अपना ,
सबके जीवन में खुशियाँ हो ,
सच हो सबका सपना !
रंगों में मिल एक हो जाएँ -राजा, रंक, फ़कीर ,
सबके माथे खूब लगाओ प्यार भरा अबीर !
दूर करो सब अपने मन से
नफरत और निराशा ,
दिल में हो प्रेम की वाणी ,
हर जुबां प्रेम की भाषा !
आज मिटा दें सदा के लिए छोटी-बड़ी लकीर
सबके माथे खूब लगाओ प्यार भरा अबीर !
रंगों के मौसम का स्वागत
हर आँगन ,हर बस्ती में ,
झूम रहे हैं बच्चे-बूढ़े ,
अपनी धुन में, मस्ती में !
कुदरत अपनी तूलिका से बना रही तस्वीर
सबके माथे खूब लगाओ प्यार भरा अबीर !
राहों में हों पेड़ घने और
फल हों मीठे-मीठे ,
हँसते -गाते चले सफर
हर पल ऐसा बीते !
कोयल गाए राग-फागुनी , संगत में रघुबीर ,
सबके माथे खूब लगाओ प्यार भरा अबीर !
- स्वराज्य करुण
"ललित" के मय के प्याले में तुम भी डूब लो साकी
ReplyDeleteजरा सा हम बहक जाएँ जरा सा तुम बहक जाओ
होली की हार्दिक शुभकामनाएं