Saturday, August 26, 2017

भगवान् भी भौचक रह गया होगा !

      उस आदमी ने खुद को भगवान का संदेशवाहक यानी मैसेंजर ऑफ गौड़  घोषित कर रखा था .इस नाम से साल-दो साल पहले उसकी एक फिल्म भी आई थी , जिसके माध्यम से स्वयं को भगवान का मैसेंजर बताने के लिए उसने फिल्म के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रूपए खर्च किए थे , लेकिन आज जब उसके अंधभक्तों की अराजक और असामाजिक फ़ौज की बेशर्म गुंडागर्दी से उसकी जो हिंसक छवि उजागर हुई , उसे देखकर शायद भगवान भी अगर कहीं होगा तो  भौचक रह गया होगा !  क्या उसे भगवान ने यह संदेश देकर भेजा था कि उसके चेले-चपाटे मिलकर भारतीय संविधान और कानून का खुलकर मजाक उडाएं और अपने गुरु के पक्ष में फैसला देने के लिए न्यायपालिका पर  हिंसक दबाव डालें ? एक तरफ तो आज पूरे देश में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत हुई ,वहीँ दूसरी ओर एक मुखौटेबाज के अपराध पर पर्दा डालने के लिए उसके समर्थकों ने हिंसा का ऐसा खूनी खेल शुरू कर दिया ,जिसके चलते गणेश उत्सव का उत्साह फीका पड़ गया .

          बात चल रही है 'डेरा झूठा सौदा ' के उस खूंखार खलनायक के बारे में ,जिसने अब तक राम और रहीम का मुखौटा पहन रखा था ,लेकिन आज उसका  यह मुखौटा भी उतर गया उस पर १५ साल पहले उसके ही आश्रम की दो साध्वियों ने बलात्कार का आरोप लगाया था और तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी को गुमनाम चिट्ठी भेजकर अपनी वेदना बताई थी . प्रधानमन्त्री ने तत्काल उस पत्र का संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए . सी. बी. आई जांच हुई .मामला उसकी विशेष अदालत में गया ,हरियाणा के पंचकुला में सी.बी.आई की विशेष अदालत ने आज यह फैसला दिया कि यह कथित बाबा बलात्कार का दोषी पाया गया है और सजा २८ अगस्त को सुनाई जाएगी . तब भी उसे अपने को निर्दोष साबित करने के लिए ऊपरी अदालत में अपील करने का अधिकार रहेगा ,लेकिन  आज शुक्रवार को उसके दोषी साबित होने के  फैसले को सुनते ही इस ढोंगी बाबा के हजारों समर्थकों ने पंचकुला और सिरसा में हिंसा का तांडव शुरू कर दिया . इस बाबा पर एक संगीन आरोप यह भी है कि उसने अपने आश्रम की पोल खोलने वाले एक पत्रकार की हत्या करवा दी . आश्रम मैनेजर की हत्या का आरोप भी इस ढोंगी पर लगाया गया है .हालांकि आज का  फैसला बलात्कार के आरोप पर आया है .


              गौरतलब है कि इसके ठीक दो  दिन पहले बाबा के इन भक्तों में से बहुतों ने  न्यूज चैनलों के कैमरों के सामने खुले आम यह कहा था कि हमारे बाबा पर कोई कार्रवाई हुई तो हम खून की नदियाँ बहा देंगे . आज उन लोगों ने इसे सच साबित कर दिखाया . उन लोगों ने . हरियाणा , पंजाब , दिल्ली ,उत्तरप्रदेश और झारखंड में खुल्लमखुल्ला खूनी उपद्रव मचाया . हरियाणा के सिरसा में इस डेरा झूठा सौदा का मुख्यालय है . वहां भी जमकर उपद्रव हुआ . पंचकुला भी हरियाणा में है .वहां तो जैसे ही बाबा को दोषी करार दिए जाने की खबर आई . पहले से जमकर बैठे उसके हजारों अनुयायी  सरकारी दफ्तरों ,सरकारी और निजी गाड़ियों को आग लगाने लगे .मीडिया कर्मियों पर प्राणघातक हमले किए गए . रेलगाड़ियों में आगजनी की गयी .वे पेट्रोल बमों से भी हमले कर रहे थे .खबर तो यह ही आई कि  ये अंधभक्त हाथों में पेट्रोल बम लेकर पंचकुला की उस अदालत की तरफ बढ़ रहे थे , जहां आज फैसला सुनाया गया था .देश के शांतिप्रिय नागरिक  एक बड़ा ही गंभीर सवाल उठा रहे हैं .वे कहने लगे हैं- - यह कैसी विडम्बना है कि आज से सिर्फ पांच साल पहले जब दिल्ली में निर्भया काण्ड हुआ था ,तो बलात्कारियों को दण्डित करने की मांग को लेकर दिल्ली की सडकों पर जन-सैलाब उमड़  पड़ा था,वह शांतिपूर्ण जन सैलाब था लेकिन सिर्फ पांच साल के भीतर वक्त ने ऐसा पल्टा खाया कि आज वैसा ही जन-सैलाब एक बलात्कारी के बचाव के लिए  खड़ा दिखाई दे रहा है ,पर यह एक  हिसंक और अराजक भीड़ है !. आश्चर्य इस बात का है कि आज सवेरे तक  न्यूज चैनलों को बाबा के यही अंधभक्त यह बयान दे रहे थे कि हम लोग हरियाणा और पंजाब के विभिन्न इलाकों से यहाँ सिर्फ बाबा के दर्शन करने आए हैं .हम शांति बनाए रखेंगे .ऐसे में उनके हाथों में पेट्रोल बम कहाँ से आ गया ,  तलवार कहाँ से आ गयी ? इस स्वयं भू बाबा को अदालत ने अपराह्न दोषी करार दिया और देखते ही देखते शाम तक उसके चेलों की हिसंक गतिविधियाँ हरियाणा ,पंजाब ,दिल्ली , सहित पांच राज्यों में फ़ैल गई .क्या इससे यह साबित नहीं होता कि यह सब पूर्व नियोजित साजिश के  तहत और इस ढोंगी संत के इशारे पर हुआ ?
    इन पंक्तियों के लिखे जाने तक यानी शुक्रवार देर रात  ग्यारह बजे तक टीवी खबरों के अनुसार चंद घंटों की इस हिंसा में लगभग तीस नागरिक  मारे जा चुके हैं और ढाई सौ से ज्यादा घायल हुए हैं. सम्पूर्ण घटनाचक्र को देखें तो पुलिस और सुरक्षा बलों ने काफी संयम और धैर्य का परिचय दिया और काफी समय तक वे उपद्रवी भीड़ पर गोली चलाने से बचते रहे ,लेकिन उपद्रव अगर चरम पर पहुँच जाए तो सरकारी सम्पत्ति और जनता के जान-माल की रक्षा के लिए  उन्हें अपना कर्त्तव्य निभाना पड़ता है .  हिंसा पर उतारू भीड़ ने पुलिस कर्मियों पर कश्मीरी अलगाववादियों की तर्ज पर पत्थरबाजी की .  फिर भी पुलिस ने धीरज का परिचय दिया .लेकिन एक बात परेशान करने वाली है कि जब  धारा १४४ लगी हुई थी और डेरा समर्थकों की भीड़ हरियाणा और पंजाब के विभिन्न इलाकों से पंचकुला आ रही थी तो उसे बीच रास्ते में ही रोका क्यों नहीं गया ? इस बीच पंजाब-हरियाणा है कोर्ट ने आदेश दिया है कि कथित बाबा के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा में जितनी भी सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा है ,उसकी भरपाई इस बाबा की सम्पत्ति में से की जाए !हाई कोर्ट का यह आदेश स्वागत योग्य है . लेकिन देखना यह है कि पंचकुला की विशेष अदालत में जब २८ अगस्त को सजा सुनाई जाएगी ,तब इस बाबा के भक्तों का क्या रुख रहेगा ?  एक सवाल यह भी उठ रहा है कि यह ढोंगी बाबा कहीं 'भिंडरावाले' का कोई नया संस्करण तो नहीं ?
                                                                      -स्वराज करुण
              

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल jbfवार (27-08-2017) को "सच्चा सौदा कि झूठा सौदा" (चर्चा अंक 2709) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आदरणीय शास्त्रीजी ! प्रोत्साहन और सहयोग के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद .

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