कुछ लोगों के लिए
छुट्टी मनाने का
और बहुतों के लिए हमेशा की तरह ...
काम करने का दिन .
रविवार कुछ लोग सुबह उठते हैं
देर से आराम के साथ ,
वहीं अलसुबह मोहल्ले की चाय
दुकान में चूल्हा सुलगाने
पहुँच जाते हैं मंगलू और उसका दस साल का बेटा ,
सुबह चार बजे से नुक्कड़ पर रिक्शा लेकर
खड़ा रहता है दरसराम सवारियों के इंतज़ार में .
रविवार की सुबह चाहे
बर्फीली सर्द हवाएं हों या झमाझम बारिश,
अखबार बाँटने वाले लड़के साइकिल पर सरपट
दौड़ते पहुंचते हैं हमारे दरवाजे
दुनिया भर की खबरें देने .
अस्पतालों में मरीजों की
सेवा में दिन -रात लगे डाक्टरों और कर्मचारियों के लिए ,
रेडियो. टेलीविजन और अखबार में काम करते पत्रकारों .
और प्रेस कर्मचारियों के लिए ,
खेतों में पसीना बहाते किसानों के लिए
सरहद पर वतन की रक्षा करते
सैनिकों के लिए ,
रेलगाड़ियों और बसों में लाखों मुसाफिरों को
मंजिल तक पहुंचाते ड्रायवरो के लिए ,
ज़िन्दगी की डायरी में नहीं होता
रविवार का दिन
जैसे सूरज की रौशनी के लिए ,
जैसे मौसम और हवाओं के लिए
नहीं होता कोई रविवार !
सोचो अगर उनकी ज़िन्दगी में भी
हर हफ्ते आने लगे रविवार तो
कैसी होगी हमारी ज़िन्दगी ?
- स्वराज्य करुण
छुट्टी मनाने का
और बहुतों के लिए हमेशा की तरह ...
काम करने का दिन .
रविवार कुछ लोग सुबह उठते हैं
देर से आराम के साथ ,
वहीं अलसुबह मोहल्ले की चाय
दुकान में चूल्हा सुलगाने
पहुँच जाते हैं मंगलू और उसका दस साल का बेटा ,
सुबह चार बजे से नुक्कड़ पर रिक्शा लेकर
खड़ा रहता है दरसराम सवारियों के इंतज़ार में .
रविवार की सुबह चाहे
बर्फीली सर्द हवाएं हों या झमाझम बारिश,
अखबार बाँटने वाले लड़के साइकिल पर सरपट
दौड़ते पहुंचते हैं हमारे दरवाजे
दुनिया भर की खबरें देने .
अस्पतालों में मरीजों की
सेवा में दिन -रात लगे डाक्टरों और कर्मचारियों के लिए ,
रेडियो. टेलीविजन और अखबार में काम करते पत्रकारों .
और प्रेस कर्मचारियों के लिए ,
खेतों में पसीना बहाते किसानों के लिए
सरहद पर वतन की रक्षा करते
सैनिकों के लिए ,
रेलगाड़ियों और बसों में लाखों मुसाफिरों को
मंजिल तक पहुंचाते ड्रायवरो के लिए ,
ज़िन्दगी की डायरी में नहीं होता
रविवार का दिन
जैसे सूरज की रौशनी के लिए ,
जैसे मौसम और हवाओं के लिए
नहीं होता कोई रविवार !
सोचो अगर उनकी ज़िन्दगी में भी
हर हफ्ते आने लगे रविवार तो
कैसी होगी हमारी ज़िन्दगी ?
- स्वराज्य करुण