संदर्भ : विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस : 3 मई 2022
आलेख - स्वराज करुण
आज की दुनिया में प्रेस का अर्थ बहुत व्यापक हो गया है। अब 'प्रेस' का मतलब सिर्फ़ छपा हुआ अख़बार नहीं है ,बल्कि उस तक समाचारों और विचारों की सप्लाई सतत बनाए रखने वाले रेडियो,टेलीविजन, और इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म और समाचार एजेंसियां भी' प्रेस ' की भूमिका में हैं।लेकिन पारम्परिक पत्रकारिता के रूप में प्रिंट मीडिया की भूमिका आज भी बहुत महत्वपूर्ण और ताकतवर बनी हुई है। छपे हुए शब्दों और विचारों का अपना महत्व होता है।
इधर हो सकता है कि बहुत से लोग सोशल मीडिया को 'पत्रकारिता' मानने से इंकार करें ,लेकिन यह पारम्परिक पत्रकारिता से हटकर 'सार्वजनिक पत्रकारिता' अथवा 'नागरिक पत्रकारिता ' (सिटीजन जनर्लिज्म ) कहलाने की हक़दार तो बन ही चुकी है। यह अभिव्यक्ति की आज़ादी का एक नया माध्यम है। इंटरनेट आधारित सूचना -क्रांति के विगत लगभग दो - दशकों में इसका भरपूर विकास हुआ है।
पारम्परिक पत्रकारिता में वैतनिक अथवा मानसेवी सम्पादक और संवाददाताओं का होना बहुत जरूरी है। वो छपनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी से भी कोई भी सवाल कर सकते हैं, जबकि 'नागरिक पत्रकारिता 'में व्यक्ति को ऐसी आज़ादी नहीं है ,लेकिन आज दुनिया का हर स्मार्ट फोन धारक व्यक्ति सूचनाओं ,समाचारों और विचारों का प्रेषक बनकर अप्रत्यक्ष रूप से ही क्यों न हो , एक 'नागरिक पत्रकार' (सिटीजन जनर्लिस्ट) की भूमिका तो निभा ही रहा है।वह अपने लिखे हुए का खुद सम्पादक और खुद प्रकाशक है। भले ही वह हमारी सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था के सूत्रधारों से आमने -सामने होकर कोई सवाल न कर पाता हो ,लेकिन अपने इर्दगिर्द की घटनाओं और समस्याओं को सचित्र पोस्ट करके अप्रत्यक्ष रूप से सवाल तो उठा ही देता है और पारम्परिक प्रेस के लिए विषय अथवा मैटर का जुगाड़ भी कर देता है। वह भी एकदम निःशुल्क ,बल्कि खुद पैसे देकर ,यानी मोबाइल कम्पनियों को हर महीने सिम रिचार्ज के लिए अपनी जेब से सैकड़ों रुपए देकर वह 'नागरिक पत्रकारिता 'में स्वप्रेरणा से भागीदार बना हुआ है।
दुनिया के बड़े - बड़े नेता, राष्ट्र प्रमुख और अफ़सर ,आजकल स्वयं न्यूज मेकर बन गए हैं जो पारम्परिक प्रेस से साझा करने योग्य जानकारी सबसे पहले फेसबुक, ट्विटर,ब्लॉग और वेबसाइट पर फोटो और वीडियो सहित पोस्ट कर देते हैं ,जिन्हें अख़बार ,रेडियो और टीव्ही चैनल अपने लिए उठा लेते हैं। उन्हें पकी-पकाई छपनीय सामग्री मिल जाती है।अब तो टीव्ही चैनलों की तरह यूट्यूब न्यूज चैनल भी ख़ूब चल रहे हैं। सोशल मीडिया के ये सभी प्लेटफार्म निजी कम्पनियों द्वारा संधारित और संचालित हैं। वो जिस दिन चाहें ,इन्हें बंद भी कर सकती हैं।लेकिन विश्व के करोड़ो नागरिकों से मिल रही तरह -तरह की सूचनाओं का विशाल बैंक उन्हें मुफ़्त में मिल रहा है और विज्ञापनों से भी उनकी खरबों डॉलर की कमाई हो रही है।ऐसे में मुझे नहीं लगता कि वो अपनी इन दुकानों को बंद करेंगीं। हाल ही में एलन मस्क द्वारा खरबों डॉलर देकर ट्विटर को खरीदे जाने की घटना इस बात को पुख़्ता करती है कि सोशल मीडिया आज एक बड़े उद्योग का रूप धारण कर चुका है। दुनिया भर में आज लगभग सभी सरकारी विभागों और निजी कम्पनियों के अपने -अपने वेबसाइट हैं। लोकल से ग्लोबल तक हर तरह की जानकारी लोग इनमें अपने हिसाब से कहीं भी और कभी भी प्राप्त कर सकते हैं।
आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2022 के मौके पर पत्रकारिता की इन सभी विधाओं में सक्रिय सभी लोगों को हार्दिक बधाईबधाई प्रेस की स्वतंत्रता जनता की अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़ी हुई है ,जो एकतरफा कतई नहीं हो सकती। इसके साथ हमारी सामाजिक ,राष्ट्रीय और वैश्विक ज़िम्मेदारियाँ भी हैं। सूचनाएँ गलत न हों ,समाचार प्रायोजित न हों और विचार विषैले न हों और जन हित से जुड़े हुए हों , प्रेस की आज़ादी में इन बातों का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।
-- स्वराज करुण