स्वराज्य करुण
सूर्योदय और सूर्यास्त
के रंगों से ,
आकाश में तैरते बादलों से ,
उड़ते परिंदों की चहक से,
पेड़-पौधों की हरियाली से ,
फूलों की महक से ,
बच्चों की मुस्कान से ,
खेत और खलिहान से ,
बांसुरी की तान से ,
धरती के जय-गान से ,
और वंचितों के क्रंदन से
बूँद-बूँद झरते शब्दों से
बनने वाली क्या कोई
ऐसी चीज है जिसे हम
कह सकते हैं कविता ?
बार-बार सोचता हूँ ,
कई बार सोचता हूँ - कविता क्या है ?
संवेदनाओं की अभिव्यक्ति
महज भावनाओं के धरातल पर
या असल जिंदगी में भी ?
कलम कहाँ लिखती है कविता ,
कहाँ दिखती है कविता ?
आखिर क्या है कविता ?
शायद वह एक समूचा संसार है ,
अपने-आप में छटपटाती पृथ्वी है /
जब हम चाहते हैं कुछ करना -
अपने लिए और अपने जैसे
तमाम लोगों के लिए ,
जब कुछ नहीं कर पाते हम ,
तब कविता रचते हैं और
जिम्मेदारी से बचते हैं /
शायद अपने बचाव में शब्दों की
चहार दीवारी खड़ी करना ही कविता है /
या कविता किसी के लिए किसी के द्वारा
कुछ न कर पाने की छटपटाहट है ?
लगता है -कविता हर धड़कते हुए दिल की
कभी खत्म न होने वाली घबराहट है /
स्वराज्य करुण
कविता के नाम पर र्इमानदार-सी कविता.
ReplyDeleteसच में क्या है कविता..... ? बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteजब हम चाहते हैं कुछ करना -
ReplyDeleteजब हम चाहते हैं कुछ करना -
अपने लिए और अपने जैसे
तमाम लोगों के लिए ,
जब कुछ नहीं कर पाते हम ,
तब कविता रचते हैं और
जिम्मेदारी से बचते हैं ,
शायद अपने बचाव में शब्दों की,
चहार दीवारी खड़ी करना ही कविता है .
सुन्दर भाव ! सुन्दर रचना !! बधाई !!!
शायद वह एक समूचा संसार है ,
ReplyDeleteअपने-आप में छटपटाती पृथ्वी है
and
लगता है -कविता हर धड़कते हुए दिल की
कभी खत्म न होने वाली घबराहट है
sach hi to kaha hai aapne
जबतक औरों के दुःख से आँखें रोती रहेंगी
ReplyDeleteशब्द झरते रहेंगे कवितायेँ बनती रहेंगी!
रचना बड़ी सच्ची है!
पेड़-पौधों की हरियाली से ,
ReplyDeleteफूलों की महक से बच्चों की मुस्कान से ,
खेत और खलिहान से बांसुरी की तान से ,
धरती के जय-गान से और वंचितों के क्रंदन से
बूँद-बूँद झरते शब्दों सबनने वाली क्या कोई
ऐसी चीज है जिसे ह कह सकते हैं कविता ?bhehtareen lajavab lekin mai socta hu kavita hi logo mai urja paida karti hai . is liye kavita ke massege ke jo result milta hai uska 1/2 fal kavi ko milta hai kyo ki dam to har aadmi me hota hai par soch sirf kavi paida karta hai hajaro dilo mai i think aapko
बहुत दिनों बाद तुम्हारी यह कविता अच्छी लगी
ReplyDelete[ बाकी पढ़ी नहीं न इसलिए ]
वाकई एक अच्छी रचना
kavita ki paribhasha bahut acchi lagi..
ReplyDeleteshukriya..
बेहतरीन...भावपूर्ण!!
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