Tuesday, November 9, 2010
(गीत) फसल काटने का मौसम है !
सपनों की बाती में उम्मीदों की रोशनी पले
मेहनत के दीप जलें ,मेहनत के दीप जलें !
खेतों से खलिहानों तक
नदियों ,पर्वत ,मैदानों तक ,
इक-दूजे का बोझ उठाते ,
इक-दूजे पर प्यार लुटाते !
जीवन की इस कठिन राह पर मिलकर सभी चलें,
मेहनत के दीप जलें ,मेहनत के दीप जलें !
फसल काटने का मौसम है ,
अधिकार बांटने का मौसम है ,
मालिक और मजदूर बीच अब
खाई पाटने का मौसम है !
सुख-समता का चमके सूरज , फिर न कभी ढले,
मेहनत के दीप जलें मेहनत के दीप जलें !
भटके न कोई अन्धकार में ,
मेरे देश में और संसार में ,
कहीं न कोई वृक्ष हो सूखा ,
मेहनतकश अब रहे न भूखा !
सबके हिस्से की खेती हर मौसम खूब खिले
मेहनत के दीप जलें ,मेहनत के दीप जलें !
हर फूल खुशी से महक उठे ,
हर चिड़िया चहक-चहक उठे ,
हो भ्रमर -गीत सब राहों में
फुलवारी की बांहों में !
हर आंगन फूले-फले , इस नीले नभ के तले ,
मेहनत के दीप जलें ,मेहनत के दीप जलें !
स्वराज्य करुण
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सुंदर गीत
ReplyDeleteआभार
वाह, बहुत बढ़िया।...गीत अच्छा लगा।
ReplyDeleteफसल काटने का मौसम है ,
ReplyDeleteअधिकार बांटने का मौसम है ,
मालिक और मजदूर बीच अब
खाई पाटने का मौसम है
सुख-समताका चमके सूरज , फिर न कभी ढले,
मेहनत के दीप जले, मेहनत के दीप जलें !
बहुत सुन्दर सार्थक सनेदेश देते गीत के लिये बधाई।
टिप्पणियों के लिए आप सबका आभार .
ReplyDeleteसुन्दर संदेश देती रचना।
ReplyDeleteमेहनत के दीप मेहनतकश के घर ही जलें तो बेहतर हो !
ReplyDeleteसुन्दर कविता !
बहुत प्यारा गीत लगा - आभार
ReplyDeleteसुन्दर रचना .बधाई !
ReplyDeleteमासानां मार्गशीर्षो5हं, मासों में सर्वोत्तम अगहन आसन्न है.
ReplyDeleteवन्दना जी , अली साहब, पलाश जी, अशोक जी और राहुल जी को टिप्पणियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद .
ReplyDelete