भोले-भाले लोग चाहे
जितना चीखे -चिल्लाएँ ,
उनका बाल बांका न होगा ,
जो भाग्य-विधाता कहलाए !
देश का सौदा करना उनका
सीधा-सादा है धंधा
कितनी मेहनत से पाते
अरबों -खरबों का चन्दा !
लूट-मार का रूपया काला
उनके हाथ सुरक्षित है
झक-सफ़ेद कपड़ों के भीतर
जो सौ-सौ जेब सिलावाएं !
तेल घोटाला ,खेल घोटाला
अब है टू-जी स्पेक्ट्रम .
क्या कर लेगा कोई उनका
देखें किसमे कितना दम !
लूट-खसोट कर जनता को
सहलाएं और बहलाएं ,
उनका बाल बांका न होगा ,
जो भाग्य-विधाता कहलाए !
- स्वराज्य करुण
सही कह रहे हैं आप्……………तभी तो मेरा भारत महान कहलाता है।
ReplyDeleteसटीक रचना हमारे देश के भाग्यविधाता ( नेताओं ) के नाम ...
ReplyDeleteआपसे कुछ ज्यादा ही बेहतर की उम्मीद रहा करती है !
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