जब कहीं दम तोड़ रही हो
तन -मन और वतन की आबरू ,
जब किसी गुनहगार के हाथों
ज़िंदा जल रहा हो कोई बेगुनाह /
तब जान कर भी सब कुछ
और देख कर भी बहुत कुछ ,
पिघलता नहीं हमारा ह्रदय
सच ! कितना खौफनाक
हो गया है हमारा समय /
सच्चाई की आँखों में आँखें
डाल कर बतियाने से भी
घबराता है हमारा समय /
रास्ते में देख कर अपने ही
जैसे किसी इंसान का खून
और इंसानियत की लाश ,
हमारा समय करने लगता है
किसी सुरक्षित ठिकाने की तलाश /
भागम-भाग से भरी दुनिया में
किसी के पास नहीं है
किसी के लिए एक पल भी
रुकने की फ़ुरसत /
हर किसी को चाहिए बस
दौलत ही दौलत /
एक अंतहीन दौड़ का हिस्सा
बन कर जाने किस दिशा में
प्रकाश की गति से भी तेज
कितनी बदहवासी में भाग रहा है
हमारा समय /
लोग कहते हैं कि
यह सब समय का तकाजा है ,
सुख-सुविधा के जलसे में फिर भी
कुछ लोगों के लिए खुला जो रहता है
वह अदृश्य पिछ्ला दरवाजा है /
कोई नहीं जानता
इस निरर्थक दौड़ में किसकी
होगी विजय और किसकी पराजय /
दोस्तों ! क्या हर मौसम में
अब ऐसा ही रहेगा हमारा समय ?
स्वराज्य करुण
सच्चाई की आँखों में आँखे डाल कर बतियाने से भी
ReplyDeleteघबराता है हमारा समय / vakai aap likhte bahut aacha hai
दौड़, मंजिल पा ही लेगी.
ReplyDeleteकोई नहीं जानता इस निरर्थक दौड़ में किसकी
ReplyDeleteहोगी विजय और किसकी पराजय
बहुत बढ़िया