कहाँ मिलेगा निर्मल ह्रदय जैसा
नीला आकाश !
धुआं उगलती चिमनियों ने,
रास्तों को रौंदती कारों की
काली हवा ने जैसे ढँक लिया
सूरज की रोशनी को,
चंद्रमा की चांदनी को
सितारों की झिलमिल को /
जैसे पड़ी किसी माफिया की
जैसे पड़ी किसी माफिया की
धूर्त काली नज़र धरती माँ की
रत्न-गर्भा कोख पर और
नज़रबंद कर लिए गए
हरे-भरे जंगल ,
कैद कर लिए गए हरे-भरे पहाड़ /
धान के हरे-भरे मैदान
नदियाँ और खदान /
ठीक उसी तरह
नज़रबंद कर लिए गए
हरे-भरे जंगल ,
कैद कर लिए गए हरे-भरे पहाड़ /
धान के हरे-भरे मैदान
नदियाँ और खदान /
ठीक उसी तरह
छ ल-कपट की ज़हरीली हवाओं ने
प्रलोभनों के धूल भरे तूफानों ने
झूठ और फरेब के घने कोहरे ने ,
भ्रष्टाचार के लगातार चल रहे
भ्रष्टाचार के लगातार चल रहे
भीषण चक्रवात ने
बदनीयती के बेरहम बादलों ने
बेईमानी की मूसलाधार बरसात ने
आज के इंसान के छोटे से
दिल को छुपा लिया
हैवानियत के अपने विशाल
दिल को छुपा लिया
हैवानियत के अपने विशाल
आगोश में /
फिर कैसे करे कोई यहाँ
किसी निर्मल ह्रदय की तलाश ?
पूछ रहा धरती से वह नीला आकाश !
स्वराज्य करुण
सटीक अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteSundar abhivayakti bhai sahab
ReplyDeleteAbahar
बदनीयती के बेरहम बादलों ने
ReplyDeleteबेईमानी की मूसलाधार बरसात ने
आज के इंसान के छोटे से
दिल को छुपा लिया
हैवानियत के अपने विशाल
आगोश में /
फिर कैसे करे कोई यहाँ
किसी निर्मल ह्रदय की तलाश ?
पूछ रहा धरती से वह नीला आकाश !
बस यही तो विडम्बना है।
फिर कैसे करे कोई यहाँ किसी निर्मल ह्रदय की तलाश पूछ रहा धरती से वह नीला आकाश !
ReplyDeletesab se badi problam hai mere aur tamaam mere jaise logo ke liye.aap likhte hai dil ko chune wala par problam ka solution bhi bataye