बेईमानों के गुप्त बैंक में जनता का धन खूब समाया !
झुग्गीवासी सब नर-नारी
हुए लापता कहाँ भिखारी ,
राज-पथों पर रास रचाएं
नेता-अफसर भरकम-भारी !
अपनी-अपनी जेबें भरकर जब जी चाहा जाम टकराया ,
हेल्थ बनाया ,वेल्थ बनाया ,जी-भर कॉमन वेल्थ मनाया
ऐसे-ऐसे खेल- खिलाड़ी ,
जनता समझ न पाए बिचारी,
लूट -मार का हुआ तमाशा ,
मालामाल हुआ व्यापारी !
चार रूपए के चम्मच पर भी चार हजार का बिल जो बनाया ,
हेल्थ बनाया ,वेल्थ बनाया ,जी-भर कॉमन वेल्थ मनाया !
कॉमन मतलब साझेदारी
मिल गयी सबको हिस्सेदारी ,
नए सजेंगे बाग-बंगले,
नयी नवेली होगी गाड़ी !
महारानी के राजमुकुट पर भारत माँ का ताज गंवाया
हेल्थ बनाया ,वेल्थ बनाया , जी -भर कॉमन वेल्थ मनाया !
जाने किनके हैं ये बंदे
उलटे-पुल्टे इनके धंधे .
देख कर भी अनदेखे हैं
आँखों वाले प्रहरी अंधे !
छल-कपट से भरे जगत में यह सब लक्ष्मी जी की माया ,
हेल्थ बनाया ,वेल्थ बनाया ,जी -भर कॉमन वेल्थ मनाया !
अरबों -खरबों लूट ले गए
फिर भी उनका कुछ न बिगड़ा,
सब हैं अपने लोग वहां जब
फिर काहे का झंझट -झगडा !
दोनों हाथों में है लड्डू , चाहे दांया हो या बांया
हेल्थ बनाया , वेल्थ बनाया , जी-भर कॉमन वेल्थ मनाया !
16/10/10
कामन वेल्थ है जी--सामुहिक धन
ReplyDeleteइस्तेमाल करने का अधिकार है इनको:)
... बहुत सुन्दर ... बेहतरीन रचना !
ReplyDeleteकॉमन मतलब साझेदारी
ReplyDeleteमिल गयी सबको हिस्सेदारी ,
नए सजेंगे बाग-बंगले,
नयी नवेली होगी गाड़ी
sateek war.... bahut sahi kataksh...
अरे वाह साहब, आप भी ब्लॉग जगत पर मौजूद हैं , गुड है.
ReplyDeleteदेख कर ख़ुशी हुई .
बढिया व्यंग !
ReplyDeleteचारो तरफ शोर मचा हैं, कॉमन वेल्थ में गोल्ड भरा हैं.
ReplyDeleteदेश कि जनता सो चुकी हैं, नेता सारे भाग रहे हैं,
अपना -अपना हिस्सा सब मांग रहे हैं ,
मागने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं.