अब नज़र आती नहीं ताल में तरंग ,
मदहोशी के आलम में सभी हैं मतंग !
अजब तेरी दुनिया के गजब रंग-ढंग ,
रोना और हंसना भी चले संग -संग !
सच हुआ नीलाम अब कहाँ सत्संग ,
देख कर नज़ारा हम तो रह गए दंग !
हत्यारा भी सम्मानित हुआ देखिए ,
डोर से कट गयी उम्मीद की पतंग !
न्याय और अन्याय में यह कैसी जंग,
हार गए दलित और जीत गया दबंग !
नीति और नीयत की बात मत करो ,
जब कभी आए कोई ऐसा प्रसंग !
- स्वराज्य करुण
बहुत बढ़िया ,बधाई !
ReplyDeleteरोचक और प्रभावी दोहे.
ReplyDeleteसच हुआ नीलाम अब कहाँ सत्संग ,
ReplyDeleteदेख कर नज़ारा हम तो रह गए दंग !
satya vachan!
sundar prastuti!!
नीति और नीयत की बात मत करो ,
ReplyDeleteजब कभी आए कोई ऐसा प्रसंग !
सटीक बात कही है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
दबंग दबंग दबंग
ReplyDeleteदो करोड़ का दबंग
जीतना ही था।
हाहाहा...खूब !
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