- स्वराज्य करुण
आंसुओं का ज़हर पीने क्यों कोई हो विवश ,
हर दिन हो प्रेम-दिवस, हर दिन हो प्रेम दिवस !
धरती से अम्बर का ,
नदियों से सागर का ,
झीलों से झरनों का ,
पनघट से गागर का !
प्यार ही प्यार हो बस, कोई न करे बहस !
हर दिन हो प्रेम-दिवस , हर दिन हो प्रेम-दिवस !
गरीब का अमीर से,
अमीर का फ़कीर से,
हर बड़ी लकीर का
हर छोटी लकीर से !
रिश्ता हो प्यार भरा , सरल , सहज और सरस
हर दिन हो प्रेम-दिवस, हर दिन हो प्रेम-दिवस !
भूल कर नफरत की
बारूदी गंध को ,
याद करो मौसम के
प्रेम-रस छंद को !
साथ तुम्हारे होंगे पल, महीने और बरस ,
हर दिन हो प्रेम-दिवस , हर दिन हो प्रेम-दिवस !
पूजा के आँगन ज्यों
भक्त का भगवान से ,
प्रेम हर इंसान का
रहे हर इंसान से !
प्रेम के पानी से भरो आज मंदिरों के कलश ,
हर दिन हो प्रेम-दिवस , हर दिन हो प्रेम-दिवस !
प्यार के लिए क्यों
हो कोई दिन विशेष
खोजने जाएँ क्यों
कोई इसे दूर-देश !
माटी के कण-कण में, हो प्रेम का ही मधु-रस ,
हर दिन हो प्रेम-दिवस, हर दिन हो प्रेम-दिवस !
प्रेम घर-परिवार में
देश और समाज में ,
प्रार्थना के गीतों में,
साज़ और आवाज़ में !
मिले इतनी ताकत , हर दर्द हो तहस-नहस ,
हर दिन हो प्रेम-दिवस , हर दिन हो प्रेम-दिवस !
स्वराज्य करुण
राम राज्य की सुंदर कल्पना से ओत-प्रोत गीत
ReplyDeleteआभार
बेहतरीन रचना। प्रेरणादायी रचना। इस प्रेम दिवस पर ईश्वर करे आपकी कल्पना साकार हो।
ReplyDeleteआपको बधाई हो।
प्रेम पर मेरी एक पोस्ट भी पढिये।
अच्छी कविता
ReplyDeleteजो आज पहरेदारी में हैं, उन्हें साल भर का काम मिल जाएगा.
ReplyDeleteगरीब का अमीर से
ReplyDeleteअमीर का फ़कीर से
हर बड़ी लकीर का
हर छोटी लकीर से
रिश्ता हो प्यार भरा ...
bhavpoorn prastuti.
सार्थक सन्देश देती रचना. आभार.
ReplyDeleteफूलों की क्यारी से सुंदर शब्द.
ReplyDeleteहर क्षण हो ,हर दिन हो ,हर दम हो ! फीलिंग्स शेयर करने के लिए आभार !
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर और सार्थक संदेश देती रचना।
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