-स्वराज करुण
भारत के बड़े -बड़े शहरों में अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित कुछ प्राइवेट अस्पताल मृत मरीजों की लाशों से भी लाखों रुपए कमाने का गन्दा खेल बड़ी बेशर्मी से खेल रहे हैं । मरीज की सांसें थम चुकी हैं ,फिर भी उसे वेंटिलेटर पर रखकर उसके परिजनों को बताया जाता है कि मरीज के हॄदय की धड़कनें चालू हैं ।
मृत मरीज को जीवित बताकर उसके परिवार वालों को धोखे में रखा जाता है ,ताकि वेंटिलेटर चालू रहे और मीटर तेज़ी से घूमकर हजारों रुपयों की बिलिंग करता रहे । वेंटिलेटर का रोज का किराया ही हजारों रुपए का हो जाता है !
अगर किसी मृत मरीज को पन्द्रह दिनों तक आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखकर उसके दुखी -पीड़ित परिवार से
कोई प्राइवेट अस्पताल लाखों रुपए ऐंठ ले तो इसे क्या कहेंगे ? कुछ बड़े अस्पतालों में जब किसी गरीब मृत मरीज के परिजन बिल जमा नहीं कर पाते तो अस्पताल प्रबंधन लाश को ही बंधक बना लेता है !
पता नहीं, यह सच है या झूठ ,लेकिन लोग कहते हैं कि ऐसे अस्पतालों में लाशों से हो रही है लाखों की लूट !
-स्वराज करुण
(मुम्बई की लोकल ट्रेन में यात्रियों के बीच हुई चर्चा का एक अंश )
No comments:
Post a Comment