-स्वराज करुण
युद्ध में घायल सैनिकों और आम नागरिकों को त्वरित चिकित्सा सहायता पहुँचाना रेडक्रॉस सोसायटी का प्रमुख उद्देश्य है ।जीवन भी एक युद्ध है और इसमें कई बार लोग गंभीर रूप से घायल याने कि बीमार भी हो जाते हैं । हृदयरोग ,कैन्सर, मस्तिष्क , किडनी और लिवर आदि के बेहद खर्चीले इलाज वाली गंभीर बीमारियों के इलाज में रेडक्रॉस सोसायटी असहाय मरीजों की भरपूर मदद कर सकती है ।
आख़िर ये मरीज़ मनुष्य के रूप में ज़िन्दगी की लड़ाई में घायल सैनिक ही तो हैं । इस घायल मानवता की मदद के लिए भी रेडक्रॉस की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है ।उसे आगे आना चाहिए । विगत 8 मई को विश्व रेडक्रॉस दिवस था ।यह अत्यंत दुःखद है कि इस बार भारत में इसकी कहीं कोई चर्चा सुनने में नहीं आयी । शायद शोरगुल भरी चुनावी चर्चाओं के बीच भारतीय रेडक्रॉस वालों को भी इसका ख़्याल नहीं आया । कहीं कोई आयोजन हुआ भी होगा तो उसका कोई समाचार मुझे तो किसी अख़बार में नज़र नहीं आया ।
अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना इटली युद्ध के भयानक खून -खराबे को देखकर वर्ष 1864 में जीन हेनरी ड्यूडेन्ट द्वारा की गयी थी । उनकी जयंती विश्व भर में रेडक्रॉस दिवस के रूप में मनाई जाती है । उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि । उन्होंने जेनेवा समझौते के तहत अपने सहयोगियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस आंदोलन की बुनियाद रखी ।उद्देश्य था - युद्ध में घायल सैनिकों और आम नागरिकों का त्वरित इलाज करना । आगे चलकर अकाल ,बाढ़ ,तूफ़ान आदि प्राकृतिक विपदाओं में राहत और बचाव कार्यो में भी यह संस्था लोगों को मदद पहुंचाने लगी । जीन हेनरी ड्यूडेन्ट को वर्ष 1901 में विश्व का पहला नोबेल शान्ति पुरस्कार से भी नवाजा गया था ।
जीन हेनरी ड्यूडेन्ट
रेडक्रॉस के संस्थापक
बदलते दौर में गंभीर रोगियों की सहायता करना भी रेडक्रॉस के उद्देश्यों में शामिल किया जाना चाहिए । ऐसा कोई प्रावधान रेडक्रॉस वालों ने किया है या नहीं ,मुझे नहीं मालूम । किया होगा तो अच्छी बात है और अगर नहीं किया है तो वह जल्द से जल्द ऐसा प्रावधान करते हुए अपनी सभी शाखाओं को निर्देश जारी करे ।
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना वर्ष 1920 में तत्कालीन पार्लियामेंट्री अधिनियम के तहत की गयी थी । आज देश भर में इसकी लगभग 750 शाखाएं हैं । हर जिले में प्रशासन की देखरेख में रेडक्रॉस की गतिविधियों का संचालन होता है । यह संस्था ब्लड बैंकों का और कई जिलों के बड़े सरकारी अस्पतालों में दवाई दुकानों का भी संचालन करती है । इसके अलावा आम तौर पर रेडक्रॉस की और कोई जन-कल्याणकारी गतिविधि देखने में नहीं आती ,जबकि स्थानीय नागरिकों ,उद्योगों और सम्पन्न वर्ग के दानदाताओं से रेडक्रॉस की शाखाओं को काफ़ी आर्थिक सहायता मिलती है । जिन औद्योगिक जिलों में रेडक्रॉस की शाखाएं हैं ,वहाँ वो उद्योग मालिकों से कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी ( सी .एस .आर .) के तहत उनसे भी दान के रूप में आर्थिक मदद हासिल कर सकती हैं । जानकार लोग बताते हैं कि कई जिलों की रेडक्रॉस शाखाओं के खातों में में दानराशि के रूप में करोड़ों रुपए जमा हैं ।
अगर रेडक्रॉस की जिला शाखाएँ चाहें तो अपने -अपने जिले में हॄदय रोग ,कैन्सर ,किडनी ,मस्तिष्क , लिवर, आदि से सम्बंधित गंभीर मरीजों को अत्यधिक खर्चीले इलाज में हर प्रकार की मदद कर सकती हैं । यह पुण्य का कार्य होगा । हो सकता है -कुछ शाखाएं ऐसा कर भी रही हों । उसकी जानकारी हमें नहीं है । वैसे फ़िलहाल तो भारत में रेडक्रॉस की गतिविधियों का कोई खास प्रचार -प्रसार नज़र नहीं आ रहा है । दुनिया की 156 वर्ष पुरानी यह संस्था भारत में अगले वर्ष 2020 में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रही है । संस्था की विभिन्न शाखाओं को अपने काम -काज का और अपनी योजनाओं का मीडिया के जरिए ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना चाहिए ,ताकि जरूरतमंद लोग और मरीज़ उनकी सेवाओं का लाभ ले सकें ।
-- स्वराज करुण
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18 -05-2019) को "पिता की छाया" (चर्चा अंक- 3339) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
बहुत -बहुत धन्यवाद अनिता जी ।
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