ईमानदार हो या बेईमान ,सबको आशीर्वाद देते हैं भगवान ! उसके दरबार में
हर तरह के लोग आते-जाते रहते हैं !. जैसे वह कोई नेता हो ,जिसके घर सुबह
से शाम और देर रात तक किसम -किसम के चेहरे मंडराते रहते हैं ! चोर , डकैत ,
पाकेटमार , कालेधन के सफेदपोश कारोबारी, जरूरतमन्द जनता ,सबके सब अपने काम- धंधे पर निकलने से पहले अपनी
मुराद पूरी करवाने के लिए भगवान या अल्लाह के दरबार में मत्था टेकते हैं !
मेहनतकश किसान अच्छी फसल के लिए , मजदूर अच्छी मजदूरी के लिए , व्यापारी कारोबार में बरक्कत के लिए , नेता , मंत्री और अफ़सर अपनी तरक्की और पदोन्नति के लिए देवी - देवताओं के दरबार में पहुँचते हैं ,या नहीं तो उनके प्रतिनिधि के रूप में गद्दी पर बैठे कलियुगी बाबे - बाबियों के डेरे पर आशीर्वाद लेने जाते हैं । कहने का मतलब ये कि अच्छे - बुरे सभी तरह के लोग अपने -अपने धंधे -पानी की बढ़ोत्तरी के लिए भगवान या अल्लाह की खुशामद करते रहते हैं । वह इनमें से आखिर किसकी - किसकी मनोकामना पूरी करता होगा ? क्या कोई बता सकता है ? -स्वराज करुण
मेहनतकश किसान अच्छी फसल के लिए , मजदूर अच्छी मजदूरी के लिए , व्यापारी कारोबार में बरक्कत के लिए , नेता , मंत्री और अफ़सर अपनी तरक्की और पदोन्नति के लिए देवी - देवताओं के दरबार में पहुँचते हैं ,या नहीं तो उनके प्रतिनिधि के रूप में गद्दी पर बैठे कलियुगी बाबे - बाबियों के डेरे पर आशीर्वाद लेने जाते हैं । कहने का मतलब ये कि अच्छे - बुरे सभी तरह के लोग अपने -अपने धंधे -पानी की बढ़ोत्तरी के लिए भगवान या अल्लाह की खुशामद करते रहते हैं । वह इनमें से आखिर किसकी - किसकी मनोकामना पूरी करता होगा ? क्या कोई बता सकता है ? -स्वराज करुण
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-09-2017) को "आदमी की औकात" (चर्चा अंक 2717) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'