क्या एक ही सिक्के के
अलग-अलग पहलू हैं --
भारत ,भय और भ्रष्टाचार ?
फिर क्यों कर रहे है
देश को बदनाम
भारत-माता के जो
बने हुए हैं पहरेदार ?
और देश के खजाने को
हर तरह से लूट कर
भर रहे हैं अपना घर-द्वार !
कल तक जो थे तंगहाल
कुर्सियों को जीत कर
कैसे हुए मालामाल !
करते थे झुक-झुक कर
जनता को प्रणाम
अब कैसे बदल गयी
एकाएक उनकी चाल !
किसी भेडिये से कम नहीं
उनका आतंक ,
लेकिन पहनते है हमेशा
भेड़ की खाल !
हे भगवान ! हो अगर तुम कहीं ,
तो नज़र आते क्यों नहीं ?
हर ऐरा-गिरा दिख जाता है
आजकल
टेलीविजन के रंगीन परदे पर ,
तुम तो फिर भगवान हो ,
तुम भी आकर
झलक अपनी दिखाते क्यों नहीं ?
आओ जल्द से जल्द आओ
और इतना तो
बतला जाओ -
देश की सबसे बड़ी पंचायत में
कब तक बैठेंगे
नामी-गिरामी चोर-डाकू ,
भ्रष्टाचार की काली कमाई से
कब तक चलाते रहेंगे
जनता की गर्दन पर चाकू ?
भारत माता के आंचल से
कब तक मिटेगा
भ्रष्टाचार का कलंक
जनता के चुने हुए
नौकर जो बन बैठे राजा
उन्हें आखिर
कब नज़र आएगा
गरीबी ,बेरोजगारी
और महंगाई के जाल में फँसा हुआ रंक ?
- स्वराज्य करुण
अलग-अलग पहलू हैं --
भारत ,भय और भ्रष्टाचार ?
फिर क्यों कर रहे है
देश को बदनाम
भारत-माता के जो
बने हुए हैं पहरेदार ?
और देश के खजाने को
हर तरह से लूट कर
भर रहे हैं अपना घर-द्वार !
कल तक जो थे तंगहाल
कुर्सियों को जीत कर
कैसे हुए मालामाल !
करते थे झुक-झुक कर
जनता को प्रणाम
अब कैसे बदल गयी
एकाएक उनकी चाल !
किसी भेडिये से कम नहीं
उनका आतंक ,
लेकिन पहनते है हमेशा
भेड़ की खाल !
हे भगवान ! हो अगर तुम कहीं ,
तो नज़र आते क्यों नहीं ?
हर ऐरा-गिरा दिख जाता है
आजकल
टेलीविजन के रंगीन परदे पर ,
तुम तो फिर भगवान हो ,
तुम भी आकर
झलक अपनी दिखाते क्यों नहीं ?
आओ जल्द से जल्द आओ
और इतना तो
बतला जाओ -
देश की सबसे बड़ी पंचायत में
कब तक बैठेंगे
नामी-गिरामी चोर-डाकू ,
भ्रष्टाचार की काली कमाई से
कब तक चलाते रहेंगे
जनता की गर्दन पर चाकू ?
भारत माता के आंचल से
कब तक मिटेगा
भ्रष्टाचार का कलंक
जनता के चुने हुए
नौकर जो बन बैठे राजा
उन्हें आखिर
कब नज़र आएगा
गरीबी ,बेरोजगारी
और महंगाई के जाल में फँसा हुआ रंक ?
- स्वराज्य करुण
very nice poetry.
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