न तरसे कोई दो वक्त की थाली के लिए ,
दुआ करें हम सब की खुशहाली के लिए !
हो गाँव अपने गीतों से गुलज़ार हमेशा ,
खेतों में दूर-दूर तक हरियाली के लिए !
शहरों की भीड़ में भी हर कोई लगे अपना ,
कोई तो ऐसा हो चमन माली के लिए !
नफरत की निगाहों से हर कोई करे नफरत ,
हो प्यार का जवाब हर सवाली के लिए !
ज़ज्बात के मधुर फलों का इक पेड़ लगाएं
परिंदों के घोंसलों से झुकी डाली के लिए !
न जिस्म की तिजारत हो , न इश्क का सौदा ,
न बदनाम गली हो यहाँ दलाली के लिए !
आओ जलाएं हम भी उम्मीदों का इक दिया ,
जगमग हो सबका आँगन दीवाली के लिए !
स्वराज्य करुण
आओ जलाएं हम भी उम्मीदों का इक दिया ,
ReplyDeleteजगमग हो सबका आँगन दीवाली के लिए !
बहुत सुंदर अभिब्यक्ति
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत उम्दा...
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
बहुत सुंदर रचना है, आप को व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeletesparkindians.blogspot.com
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.....
ReplyDeleteसुन्दर कविता। आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteदीप पर्व पर ढेर शुभकामनाएं !
ReplyDeleteदीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं
ReplyDelete'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
ReplyDeleteदीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर