कहो तो खोल दूँ मैं बिन चाबी का ताला
फेरी वाला ,फेरी वाला , मै हूँ फेरी वाला !
दूर गाँव और शहर मैं जाता ,
सुबह-शाम दोपहर मैं जाता ,
घूमा करता बस्ती-बस्ती ,
चीजें ले लो सस्ती-सस्ती !
मेरा हर सामान देखो सुंदर और निराला !
फेरी वाला ,फेरी वाला ,मै हूँ फेरी वाला !!
रखता हूँ रंगों की पुड़िया,
प्यारा गुड्डा ,प्यारी गुड़िया ,
बिंदिया रंग-बिरंगी रखता ,
चूनर भी सतरंगी रखता !
पास मेरे है मोतियों की इन्द्रधनुषी माला !
फेरी वाला , फेरी वाला ,मै हूँ फेरी वाला !!
तीरथ हो या मेले में,
लिए खिलौने ठेले में ,
तुम सबको मै रोज बुलाता ,
रोतों को भी सदा हँसाता !
कोई खरीदे नथनी और कोई कान का बाला !
फेरी वाला , फेरी वाला ,मैं हूँ फेरी वाला !!
मैं संकट में कभी न रोता ,
भारी-भरकम बोझ ढोता,
मै हूँ एक ऐसा इंसान ,
जिसे कभी न लगे थकान !
अंधियारे में जग वालों को देता मैं उजियाला !
फेरी वाला, फेरी वाला , मैं हूँ फेरी वाला !!
- स्वराज्य करुण
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनाएं|
खुबसूरत और सार्थक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट .
ReplyDeleteनवरात्रि की हार्दिक बधाई .
अच्छी अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteजीवन चलने का नाम.....
बेहतरीन रचना..
ReplyDeleteआपको सपरिवार नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं
कल 30/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
kabuli wala yaad aa gaya
ReplyDeleteइन्द्रधनुषी माला ....
ReplyDeleteनवरात्रि पर्व की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
इन्द्रधनुषी माला
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeletekhoobsurat prastuti
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