कैसे -कैसे मंजर आए गांधी जी के देश में ,
फूल नहीं अब खंजर आए गांधीजी के देश में !
चारों ओर खून-खराबा , जोर-ज़ुल्म ,अराजकता,
गुलदस्तों में छुप कर आए गांधीजी के देश में !
सिर्फ सियासत के झगड़े में बेच रहे हैं देश को ,
घूम के सात-समन्दर आए गांधीजी के देश में !
जिन हाथों से लगना है इन ज़ख्मों को मरहम
वो भी लेकर पत्थर आए गांधीजी के देश में !
दारू पीकर हंगामा, काव्य-पाठ और गायन-वादन,
डबल-रोल में तन कर आए गांधीजी के देश में !
वेश बदल कर बैठा है अब संसद में भी हत्यारा ,
फिर वह कैसे नज़र आए गांधीजी के देश में !
पता नहीं कब जाएगा बेशर्मी का दौर यहाँ से ,
बार-बार जो अंदर आए गांधीजी के देश में !
- स्वराज्य करुण
सिर्फ सियासत के झगड़े में बेच रहे हैं देश को ,
ReplyDeleteघूम के सात-समन्दर आए गांधीजी के देश में !
जिन हाथों से लगना है इन ज़ख्मों को मरहम
वो भी लेकर पत्थर आए गांधीजी के देश में !
गाँधी जी कि पुण्यतिथि पर यह चिंतन स्वाभाविक है ...अच्छी रचना .
तीनों बंदर लहुलुहान हैं गांधी जी के देश में
ReplyDeleteबहती दारु जल समान गांधी जी के देश में
लेकर खंजर घूम रहे हैं गली-गली में हत्यारे
ये कैसा मंजर देख रहे गांधी जी के देश में
करोड़ो अरबों के घोटाले ये नेता कर जाते हैं
नैतिकता दफ़न हुई है गांधी जी के देश में
भ्रष्ट्राचार का दानव सुरसा मुख सा बढता है
छद्मश्री, पद्मश्री हो गए गांधी जी के देश में
आपको पढ कर कुछ लाईने बन गयी।
आभार
जिन हाथों से लगना है इन ज़ख्मों को मरहम
ReplyDeleteवो भी लेकर पत्थर आए गांधीजी के देश में !
वाह, इस शे‘र में तो आपने बेशकीमती बात कह दी।
गांधी जी का पुण्य स्मरण करती एक अच्छी रचना।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (31/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
आदरणीय स्वराज्य करुण जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कमाल की रचना है … बधाई !
दारू पीकर हंगामा, काव्य-पाठ और गायन-वादन, डबल-रोल में तन कर आए गांधीजी के देश में !
हा हा हऽऽ … कला और काव्य मंचों के वर्तमान सत्य का चित्र खींचा है आपने , मुबारकबाद !
पूरी रचना शानदार !
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
जिन हाथों से लगना है इन ज़ख़्मों को मरहम,
ReplyDeleteवो भी लेकर पत्थर आये गांधी जी के देश में।
बहुत सुन्दर शे'र।
बढ़िया है :)
ReplyDeleteवेश बदल कर बैठा है अब संसद में भी हत्यारा ,
ReplyDeleteफिर वह कैसे नज़र आए गांधीजी के देश में !
सुन्दर शेर, वाह जी , क्या बात है
गांधीजी को भी तो गोली लगी, गांधी जी के देश में.
ReplyDeletekaise-kaise manjar aye gandhiji ke desh me
ReplyDeletefool nahi ab khanjar aye gandhiji ke desh me
wah ..bebak sachchai...
bahut asardar gazal.
waah swaraajya jee.... gaandhi ji ke desh men hone wali anitiyon ko khub ujaagar kiya aapne..samay par aayi rachna
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