उम्मीदों की मुरझाई
यह धूप न हो जहां
थका-हारा मायूस
कोई रूप न हो जहां !
कोई किसी को मत रोके
राष्ट्र-ध्वज फहराने से ,
खेतों में लहराए फसल ज्यों
कहीं तिरंगा लहराने से !
फूल जहां हर पल सपनों के
खिलखिला कर हँसते हों ,
भौंरें भी सब झूम-झूम कर
फुलवारी में जा बसते हों !
आओ ह्रदय के देश में हम
ऐसा कोई उपवन रोपें ,
अंगारों में चन्दन रोपें,
प्यार भरा कोई मधुवन रोपें !
अंधियारे की आग बुझाने
किरणों का गंगा -जल सींचेंगे ,
धरती माता के आंचल में
हरियाली का चित्र खींचेंगे !
उस जीवन का रूप बदलेंगे ,
जिसमे रोना ही रोना हो ,
उस घर को रौशन कर देंगे ,
काला जिसका हर कोना हो !
मेहनतकश ये हाथ हमारे
सच मानो पारस जैसे हैं,
फिर क्यों न जाए इनके छूते
ही माटी यह सोना हो ?
वसुंधरा की इस माटी में
आओ शत-शत वंदन रोपें ,
अंगारों में चन्दन रोपें,
प्यार भरा कोई मधुवन रोपें !
- स्वराज्य करुण
सुंदर कविता के साथ गणतंत्र दिवस की सुबह का स्वागत भा गया।
ReplyDeleteजन्मदिवस एवं गणतंत्र दिवस की समवेत बधाई स्वीकार करें।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
बहुत सुन्दर भावों से भरी अच्छी रचना ..
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
गणतंत्र दिवस पर संकल्प जैसा.
ReplyDeleteआदरणीय स्वराज्य करुण जी
ReplyDeleteनमस्कार !
सर्वप्रथम तो आपको ~*~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
आपने बहुत सुंदर गीत प्रस्तुत किया है , साधुवाद और बधाई स्वीकार करें !
अंगारों में चन्दन रोपें ! प्यार भरा कोई मधुवन रोपें !
वाह वाऽऽह ! राष्ट्रभावना से ओत-प्रोत पूरा गीत बहुत सुंदर है ।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कोई किसी को मत रोके
ReplyDeleteराष्ट्र-ध्वज फहराने से ,
खेतों में लहराए फसल ज्यों
कहीं तिरंगा लहराने से !
आप तो स्वयं स्वराज्य हैं ..
भला आपको कौन रोक सकता है झंडा फहराने से .....
ati sundar !
ReplyDeletesachchi kavta deshbhakti se labrej.
ReplyDeletegantantr diwas ki hardik badhai
आओ ह्रदय के देश में हम
ReplyDeleteऐसा कोई उपवन रोपें ,
अंगारों में चन्दन रोपें,
प्यार भरा कोई मधुवन रोपें !
एक सार्थक आहवान .....बहुत प्रेरणादायी कविता शुक्रिया आपका