कहीं भी नहीं मची खलबली ,
अस्सी हजार करोड़ की टैक्स चोरी करने के बाद
सिर्फ पांच लाख रूपए की जमानत पर
रिहा हो गया डाकू हसन अली /
कैसा है फैसला ,कैसा है इन्साफ ,
रुपयों के रुपहले जादू से यहाँ
संगीन जुर्म भी हो जाते हैं माफ /
बच्चों के इलाज के लिए
कोई महज़ पांच रूपए की चोरी में
जिंदगी भर सड़ता है सलाखों में ,
कोई यहाँ करोड़ों लोगों को लूट कर
खेलता है खुले आम रोज-रोज लाखों में /
ख़बरों में सब कुछ देख कर,
रोज -रोज पढ़ कर और सुन कर
भौचक है हमारी भावी पीढ़ी ,
सत्य का सर्वनाश कर खूब गर्व से
कुछ हैं जो चढ़ रहे सत्ता की सीढ़ी /
फिर भी हम कहते हैं आन-बान-शान से
कि देश अब आज़ाद है, ,
इस भयानक भुलावे में भटकते रह गए
तो तय मानो हमारा भविष्य बर्बाद है /
- स्वराज्य करुण
ये सिर्फ आपके ही नहीं हर सच्चे हिन्दुस्तानी के दिल की बात है.सार्थक प्रस्तुति.बधाई
ReplyDeleteसही सोच है आपकी ,सुंदर रचना
ReplyDeleteसार्थक रचना...
ReplyDeleteजन सैलाब के बिना कुछ न होगा या जान एलिया साहब की ये पंक्तिया गुनगुनाईये
ReplyDeleteअब फ़कत आदतो की वर्जिश है
रूह शामिल नही शिकायत में
बिल्कुल सही कहा आपने मगर ना जाने कब हम ये समझेंगे।
ReplyDeleteआज 14 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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bilkul sach kaha...hamara desh barbad hai.
ReplyDeletesunder prbhaavshali lekhan.
देश aajad है केवल -भ्रष्ट नेताओं के लिए ,भ्रष्ट जनता के लिए .सार्थक रचना .आभार
ReplyDeletedevi chaudhrani
कटु सत्य कहती अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteस्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सचमुच पहले कभी खलबली नहीं मची ... आपके इस सुंदर सी प्रस्तुति से हमारी वार्ता भी समृद्ध हुई है !!
ReplyDeleteसार्थक और सशक्त प्रस्तुति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
रुपयों के रुपहले जादू से यहाँ \
ReplyDeleteसंगीन जुर्म भी हो जाते हैं माफ /
बहुत सार्थक प्रस्तुति...
राष्ट्र पर्व की हार्दिक बधाईयाँ...
कैसा है फैसला ,कैसा है इन्साफ
ReplyDeleteरुपयों के रुपहले जादू से यहाँ
संगीन जुर्म भी हो जाते हैं माफ
bahut acchi prastuti badhaai
me do line arz hai
khuda teri adaalat me kaisa insaaf ho gaya
katl karne walo ka har khun maaf ho gaya