खूब मेहनत से ले आओ
सौ में नब्बे अंक,
छीन लेगा मौक़ा तुमसे
आरक्षण का डंक /
मैदानों में भले ही उनसे
छूट रहे हों कैच
आरक्षण से बन जाएंगे
मैन ऑफ द मैच /
योग्यता का जहां हो रहा
बेरहमी से दमन ,
फिर कैसे गुलज़ार होगा
वह मुरझाया चमन /
जान-बूझ कर न समझे
गरीबों की विवशता को
मोल नहीं प्रतिभा का जहां
धिक्कार उस व्यवस्था को /
आरक्षण किसको मिले ,
सुलग रहा सवाल ,
आरक्षण पर फिल्म क्या बनी
मच गया बवाल /
नेताओं की कुर्सी का
मज़बूत पाया आरक्षण ,
इसीलिए तो उनके दिल को
हर पल भाया आरक्षण /
- स्वराज्य करुण
मैदानों में भले ही उनसे ,
ReplyDeleteछूट रहे हों कैच ;
आरक्षण से बन जाएंगे,
मैन ऑफ द मैच .
अच्छी कविता .
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
आरक्षण एक गंभीर मुद्दा है। मेरी नजर से गरीबी ही आधार होना चाहिये।
ReplyDeleteनेताओं की कुर्सी का
ReplyDeleteमज़बूत पाया आरक्षण ,
इसीलिए तो उनके दिल को
हर पल भाया आरक्षण
netaon ko to vo pasand jo unki satta me pakad banaye rakhe.bahut sarthak prastuti.badhai
अच्छी रचना है!
ReplyDelete--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
इसे जड़ से हटा देना चहिये..सार्थक पोस्ट.....
ReplyDeleteअच्छी रचना है!
ReplyDeleteमित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!