Monday, December 6, 2010
(गीत) चांदनी रात : कुछ एहसास
स्वराज्य करुण
बर्फ सी चांदनी , चंदन सी चांदनी ,
नयी-नवेली किसी दुल्हन सी चांदनी !
दूध नहाई किसी गोरी सी चांदनी ,
गाँव की शर्मीली किशोरी सी चांदनी !
सपनों के रुपहले फूलों सी चांदनी ,
नदियों और झीलों के झूलों सी चांदनी !
महकती हवा लिए मधुवन सी चांदनी ,
प्रीत के छंद लिए जीवन सी चांदनी !
यादों के कोहरे से घिरी हुई चांदनी ,
विरहा के अम्बर से गिरी हुई चांदनी !
दर्दों की आग-तपे कंचन सी चांदनी ,
दूध-मोंगरे से भरे आंगन सी चांदनी !
कभी लगे महतारी माटी सी चांदनी,
कभी लगे दिए की बाती सी चांदनी !
तारों के आंगन ज्योति-कलश चांदनी ,
खेत-खलिहान लोक-गीत सरस चांदनी !
तालाब के पानी में कम्पन सी चांदनी ,
भिनसारे भौंरे की गुंजन सी चांदनी !
झरने की झंकार का संगीत लगे चांदनी ,
किसी उदास मन का मीत लगे चांदनी !
बच्चों की भोली मुस्कान सी चांदनी ,
लाखों में एक भले इंसान सी चांदनी !
धड़कते दिलों की धड़कन सी चांदनी ,
रिश्तों के अनोखे बंधन सी चांदनी !
धरती के आंचल का श्रृंगार लगे चांदनी ,
जंगल की बहती बयार लगे चांदनी !
चांदी की थाल सी चमक लगे चांदनी ,
रोटी में प्यार का नमक लगे चांदनी !
अमन का पैगाम लिए चमन सी चांदनी ,
गीत गा रहे नील -गगन सी चांदनी !
स्वराज्य करुण
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बहुत शीतल सी चांदनी ..
ReplyDeleteबहुत ही सुखद है ये चांदनी।
ReplyDelete'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' से मुकाबला है 'चांदनी' का.
ReplyDeleteबड़ी प्यारी खूबसूरत सी है ये चांदनी ...!
ReplyDeleteचांदनी ही चांदनी यत्र तत्र सर्वत्र
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ReplyDeleteबेहतरीन लेखन
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
chaandni ko kya khoob likha hai!
ReplyDeletewaah!
अमन का पैगाम लिए चमन सी चांदनी ,
ReplyDeleteगीत गा रहे नील -गगन सी चांदनी !
सुन्दर गीत ,बधाई .