स्वराज्य करुण
खुशियों के खिले आंगन में गम की बारिश
आज फिर हो गयी बेमौसम की बारिश !
अगहन में दिख रहा है आषाढ़ का माहौल ,
सावन में अब होती नहीं झमा-झम की बारिश !
सैलाब में बह जाएगी ख़्वाबों की ये फसल
दे गयी है किसान के घर आ धमकी बारिश !
दस्तूर ज़माने का कुछ कहता है आज ऐसा
होती है भले इंसान पर सितम की बारिश !
कहीं शराब की महफ़िल ,कहीं जुए की बैठकी ,
कहीं बरसात गोलियों की, कहीं बम की बारिश !
कहीं बिजलियाँ गिराए ,कहीं बस्तियां उजाड़े ,
पूनम की चांदनी में खूब चमकी बारिश !
दुनिया के मेले में दिखे कुदरत के हज़ार रंग ,
कहीं शोलों की बौछार ,कहीं शबनम की बारिश !
स्वराज्य करुण
दस्तूर ज़माने का कुछ कहता है आज ऐसा
ReplyDeleteहोती है भले इंसान पर सितम की बारिश !
बिलकुल सही कहा। उमदा गज़ल के लिये बधाई।
कहीं शराब की महफ़िल ,कहीं जुए की बैठकी ,
ReplyDeleteकहीं बरसात गोलियों की, कहीं बम की बारिश !
यक़ीनन यही हो रहा है.... सच्चे और अच्छे भाव....
रेनी डे मनाने को मजबूर करती बारिश.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...अलग अलग अंदाज़ की बारिश
ReplyDeleteकहीं शराब की महफ़िल ,कहीं जुए की बैठकी ,
ReplyDeleteकहीं बरसात गोलियों की, कहीं बम की बारिश !
युगबोध कराता हुआ ये शेर अच्छा है
bahut sundar!
ReplyDeleteदुनिया के मेले में दिखे कुदरत के हज़ार रंग ,
ReplyDeleteकहीं शोलों की बौछार ,कहीं शबनम की बारिश !
bahut sateek!!!