भारत के सबसे अमीर दस व्यक्तियों की सूची आज के अखबारों में छपी है .एक अमरीकी पत्रिका की रिपोर्ट के हवाले से ऐसी सूची हर साल दीपावली के बाद दो-तीन बार देश भर के अखबारों में पढ़ने को मिलती रहती है, जिसे पढकर दिल में सवाल उठने लगता है कि देवी लक्ष्मी की कृपा केवल ऐसे ही लोगों पर क्यों बरसती है ? वह किसी झुग्गीवासी इंसान पर अपनी कृपा दृष्टि क्यों नही डालती ? आज प्रकाशित टॉप -टेन की सूची में वह अमीर आदमी सबसे टॉप पर है ,जिसने मुंबई में अपने लिए २७ मंजिलों की एक विशाल इमारत हाल ही में बनवाई है.सूची में शामिल सभी धन कुबेर किसी न किसी विशाल उद्योग-धंधे के मालिक हैं .
.सवाल यह है कि इन अमीरों ने अपना यह लम्बा चौड़ा आर्थिक साम्राज्य क्या कहीं किसी खेत में पसीना बहा कर खड़ा किया है ? क्या इन लोगों ने कहीं पत्थर तोड़ कर या शहरों की सड़कों पर रिक्शा खींच कर , या किसी ईंट -भट्ठे में बंधुआ मज़दूरी करके ,या गाँवों में रोजगार गारंटी योजना के निर्माण कार्यों में काम करके यह दौलत हासिल की है ? क्या इन अमीरों को किसी अलादीन का चिराग मिल गया है ? क्या इन लोगों को कोई जादू की छड़ी मिल गयी है? देश की १२१ करोड़ की आबादी में अगर सिर्फ दस लोग सबसे ज्यादा अमीर है, तो इससे भारत की खौफनाक आर्थिक हालत की कल्पना की जा सकती है . क्या इससे यह साबित नहीं होता कि देश की अधिकाँश आबादी गरीब है और केवल इने-गिने लोग ही आपस में सबसे अमीर होने की प्रतियोगिता में शामिल है ? जिन लोगों के नाम धन-कुबेरों की कथित मेरिट-लिस्ट में शामिल हैं, क्या उन्होंने यह धन -दौलत अपने निजी प्रयास या परिश्रम से प्राप्त किया है ?
क्या यह सही नहीं है कि इनकी तमाम कम्पनियां देश भर में अपने शेयर जारी करती हैं, आम नागरिक अमीर बनने की मृग-तृष्णा में इनके शेयर खरीदते हैं और उन्हीं शेयरों के दम पर ये लोग देश और दुनिया के सर्वाधिक अमीर बनने की होड़ में शामिल होकर इतराते रहते हैं ? अगर आपने इनकी किसी कम्पनी का शेयर खरीदा है , तो यकीन मानिए , इनको धन-कुबेर बनाने में आपका भी बहुमूल्य योगदान है . शेयर यानी हिस्सा . अर्थात आप अगर इनकी कम्पनी के शेयर होल्डर हैं तो सच मानिए ,इनकी धन-दौलत के आप भी हिस्सेदार हैं लेकिन क्या ये धन-कुबेर इस दौलत का उतना हिस्सा आपको देंगे , जिसे लेकर आप भी देश के शीर्षस्थ अमीरों की सूची में आ सकें ? बहरहाल , आज के अखबारों में देश के सबसे ज्यादा दस अमीरों के नाम पढ़ कर मैं सोच रहा हूँ -किसी देशी या विदेशी पत्रिका में हमारे देश के दस सबसे ज्यादा गरीब लोगों की 'टॉप-टेन' सूची कब प्रकाशित होगी ?
- स्वराज्य करुण
...जब दस ही ग़रीब रह जाएंगे :)
ReplyDeleteफिलहाल तो-
ReplyDeleteभइयादूज की शुभकामनाएँ!
गिनीज बुक के लिए अच्छा आइडिया होगा.
ReplyDeleteगरीबों को कौन पूछता है आज ??
ReplyDeleteविचारणीय आलेख है, अमेरिका की पत्रिकाओं से हमें ज्ञात होता है देश के अमीरों के विषय में। गरीबों की जब देश में नहीं सुनी जाती तो बाहर वाले भी क्यों सुनेगें। गरीबी की जगह गरीब हटाओ अभियान जारी है, समस्या का निदान जड़ से ही होगा। :)
ReplyDeleteविचारणीय आलेख है, ..
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