जैसे फिल्मों की शूटिंग के बाद
हीरो ,हीरोइन और विलेन ,
मिल बैठ कर बेहद
चैन से पीते हैं शैम्पेन ,
उसी तरह राजनीति में
चलता है पक्ष-विपक्ष का कैम्पेन !
सदन में ,सभाओं में
एक-दूजे को खूब गरियाते हैं और
बाद में एक-दूजे के लिए
बन जाते हैं जेन्टिलमैन !
राजनीति भी जैसे आज
किसी फिल्म की शूटिंग है ,
हीरो और विलेन की एक-दूजे के लिए
दिखावटी हूटिंग है !
जनता है दर्शक ,दोनों के लिए
बजाती है तालियाँ ,
जीतने वाले का लगाती है जयकारा
और हारने वाले को
देती है शानदार गालियाँ !
जीतने या हारने वाले को
इससे कोई मतलब नहीं ,
एक पक्ष बन जाता है दूल्हा
दूसरा पक्ष जैसे दूल्हे की सालियाँ !
देश बन गया फ़ुटबॉल और
सियासत उनके लिए
कमाने-खाने का खेल है ,
खेल के बाद पक्ष-विपक्ष में
क्या खूब ताल-मेल है !
कुछ इसी तरह से हो रहा है
हमारे असली भारत में
एक नकली महाभारत ,
असली जिंदगी के नकली पात्रों को
हो गयी है इसकी आदत !
नकली कौरव -नकली पांडव
एक-दूजे पर कर रहे
नकली अस्त्रों का प्रहार ,
नकली युद्ध के बाद
आपस में मिल बाँट कर
खूब करेंगे देश में
कुर्सियों का असली कारोबार !
लोकतंत्र के रंगमंच पर
बरस-दर-बरस चल रहा है
एक जैसा नाटक ,
देख-देख कर
होने लगी है बोरियत ,
जाने कब खुलेगा इस
प्रेक्षागृह का फाटक !
- स्वराज्य करुण
हीरो ,हीरोइन और विलेन ,
मिल बैठ कर बेहद
चैन से पीते हैं शैम्पेन ,
उसी तरह राजनीति में
चलता है पक्ष-विपक्ष का कैम्पेन !
सदन में ,सभाओं में
एक-दूजे को खूब गरियाते हैं और
बाद में एक-दूजे के लिए
बन जाते हैं जेन्टिलमैन !
राजनीति भी जैसे आज
किसी फिल्म की शूटिंग है ,
हीरो और विलेन की एक-दूजे के लिए
दिखावटी हूटिंग है !
जनता है दर्शक ,दोनों के लिए
बजाती है तालियाँ ,
जीतने वाले का लगाती है जयकारा
और हारने वाले को
देती है शानदार गालियाँ !
जीतने या हारने वाले को
इससे कोई मतलब नहीं ,
एक पक्ष बन जाता है दूल्हा
दूसरा पक्ष जैसे दूल्हे की सालियाँ !
देश बन गया फ़ुटबॉल और
सियासत उनके लिए
कमाने-खाने का खेल है ,
खेल के बाद पक्ष-विपक्ष में
क्या खूब ताल-मेल है !
कुछ इसी तरह से हो रहा है
हमारे असली भारत में
एक नकली महाभारत ,
असली जिंदगी के नकली पात्रों को
हो गयी है इसकी आदत !
नकली कौरव -नकली पांडव
एक-दूजे पर कर रहे
नकली अस्त्रों का प्रहार ,
नकली युद्ध के बाद
आपस में मिल बाँट कर
खूब करेंगे देश में
कुर्सियों का असली कारोबार !
लोकतंत्र के रंगमंच पर
बरस-दर-बरस चल रहा है
एक जैसा नाटक ,
देख-देख कर
होने लगी है बोरियत ,
जाने कब खुलेगा इस
प्रेक्षागृह का फाटक !
- स्वराज्य करुण
दुनाली पर आएं, आपका स्वागत है-
ReplyDeleteपिगविजय की चिट्ठी पहुंची भालेगण सिद्धी
Bahut shaandaar prastuti.
ReplyDeleteसटीक और सार्थक प्रस्तुति ..
ReplyDeletedesh ke vertman rajnitik paridrishya ke parde ke pichhe ki asaliyat kavita me ujagar hui .nakli bhesh-nakli charitra wale logo ke nakab khichane wali rachana ke liye badhai .
ReplyDeleteshiva mohanti