Saturday, October 15, 2011

कलाम साहब को सलाम !

    
         अगर देश और समाज चिंतन करना चाहे तो पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी.जे. अब्दुल कलाम ने एक मार्के की बात कही है . मिली खबरों के अनुसार  उन्होंने कल कोयम्बटूर में छात्र-छात्राओं से चर्चा करते हुए कहा कि  हमारे देश के बच्चे अगर अपने माता -पिता से उनकी आमदनी के स्रोत के बारे में पूछने लगें और अपने अभिभावकों की उन गाड़ियों में यात्रा करने से इंकार कर दें, जो अवैध कमाई के डीजल-पेट्रोल से चलती हैं  , तो भ्रष्टाचार खत्म  करने का यह एक अच्छा जरिया हो सकता है. मिसाईल मेन के नाम से लोकप्रिय  रक्षा -वैज्ञानिक और देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचकर भी अपनी सादगी और सहजता के लिए  प्रसिद्ध डॉ.कलाम का यह भी कहना था कि एक सर्वेक्षण में पता चला है कि देश के बीस करोड़ मकानों में से लगभग तीस प्रतिशत मकान भ्रष्ट साधनों के ज़रिये अर्जित किये गए हैं .
        निश्चित रूप से डॉ.कलाम का इशारा ऐसे माता-पिताओं की ओर  है, जो सरकारी नौकरियों में ऊंचे ओहदों पर कार्यरत हैं , जिनके पास आलीशान सरकारी बंगले अथवा बेशकीमती हवेलीनुमा निजी मकान हैं ,जिनके बच्चे तो बच्चे ,  बिल्ली और कुत्ते भी सरकारी कारों में या माता-पिता की काली कमाई से खरीदी गयी कीमती कारों में  आना-जाना करते हैं, जिनके घरों में सरकारी तनख्वाहों से पलने वाले नौकर-चाकरों की हाजिरी हमेशा बनी  रहती है ,जो सेवा अथवा बेगारी तो इन साहबों के घरों में करते हैं  ,लेकिन उन्हें तनख्वाह सरकारी खजाने से मिलती है. ऐसे घरों की  मेम साहिबाएं घर आए मेहमानों को अपने हाथों से चाय-नाश्ता और भोजन परोसने में शर्माती हैं और इन्हीं सरकारी चपरासियों से अपने अतिथियों  को हाई-टी या ब्रेकफास्ट ,या लंच-डीनर सर्व करवाने में गर्व महसूस करती हैं .ऐसे घरों के बच्चे भला अपने माता -पिता की  आमदनी का स्रोत कैसे पूछ पाएंगे , जिनके स्कूली बस्ते भी बंगला-ड्यूटी करने वाले सरकारी चपरासी उठाते हों , जिनके घरों की साग-भाजी भी बाज़ार से ये चपरासी खरीद कर लाते हों और जहां रसोई कक्ष  में परिवार की गृहणी नहीं ,बल्कि चपरासी खाना बनाता हो .,साहब और मेम साहब के सुबह उठने के बाद जहां उनके बेडरूम का बिस्तर भी चपरासी ही घड़ी करके रखता हो .!
        सरकारी अफसरों के अलावा निजी क्षेत्र के अमीरों के ठाट-बाट भी देश में बढ़ते भ्रष्टाचार का साफ़ तौर पर संकेत दे  रहे हैं . मुंबई में सत्ताईस मंजिला महल बनवाकर और उसमे हर महीने तीस लाख रूपए की बिजली जलवा कर धन-दौलत का फूहड़ प्रदर्शन करने वाले सेठ जी के बच्चे क्या उनसे आमदनी का स्रोत पूछ सकेंगे ?  सबको यह मालूम होना चाहिए कि यह इमारत सेठजी की बपौती नहीं है ,यह तो उन्होंने अपनी कंपनियों के लाखों शेयर होल्डरों के शेयरों  की राशि से बनवाया है ,लेकिन खुद अकेले मालिक बन बैठे हैं.कुछ  अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों और फ़िल्मी कलाकारों के भी महलनुमा मकानों और उनकी ऐश-ओ-आराम से भरी जिंदगी से भी  उनके भ्रष्टाचार का खुला सबूत मिलता है.  क्या ऐसे लोग अपने बच्चों को किसी प्रकार की नैतिकता की शिक्षा दे सकेंगे ?  नेताओं के परिवारों के बच्चे अपने माँ-बाप से क्या पूछ पाएंगे कि चुनाव से पहले 'ठनठन गोपाल  रोडपति'  महाशय चुनाव जीतने के कुछ ही महीनों या कुछ ही वर्षों में करोड़पति और अरबपति कैसे बन जाते हैं  ? ऐसे बच्चे अपने माता-पिता से आमदनी का ज़रिया भला कैसे पूछ सकते हैं , जिनकी मेडिकल या इंजीनियरिंग  की पढ़ाई के  लिए माँ-बाप कम वेतन के बावजूद लाखों-करोड़ों रूपयों का डोनेशन देने को तत्पर रहते हों ? जिन घरों में तनख्वाह को महज जेब-खर्च और रिश्वत या 'ऊपरी आमदनी' को ही असली कमाई समझा जाता हो, उन परिवारों के बच्चों में भला कौन से संस्कार विकसित होंगे ? यह सोचने वाली बात है
       दरअसल   कलाम साहब सीधे-सच्चे और नेक इरादों  वाले एक भले इंसान हैं . उन्होंने बचपन में गरीबी का दर्द झेला है और कुछ आमदनी के लिए अखबार बाँटने का भी काम किया है . इसलिए देश के आम जन-जीवन के दिलों की धड़कन उनके सीने में आज भी कायम है. शायद  यही वजह है कि देश में बेहद भद्दे तरीके से मुट्ठी भर लोगों की बढती अमीरी और हरामखोरी और करोड़ों लोगों की बढ़ती गरीबी उन्हें विचलित करती है . वह किसी भी संवेदनशील इंसान को विचलित कर सकती है .बहरहाल पूर्व राष्ट्रपति महोदय ने एक ऐसा गंभीर सुझाव दिया है ,जिस पर अगर देश के बच्चे अमल करना शुरू कर दें तो भ्रष्टाचार की आग में झुलस रहे भारत को वाकई कुछ राहत ज़रूर मिलेगी ,जो शायद देश की तकदीर और तस्वीर बदलने में सहायक होगी. कलाम साहब को और उनके सहज-सरल  नेक इरादे को सलाम !
                                                                                                    -  स्वराज्य करुण
                                                                 

(फ़ाइल फोटो : google से साभार )

7 comments:

  1. देश में अमीर गरीब के बीच की खाई बन गयी है। डॉ अब्दुल कलाम जी का कहना सही है।

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  2. कलाम साहब प्रधान मंत्री पद के सबसे योग्य उम्मीदवार हैं काश वे सामने आते तो भारत के दिन कुछ बदलते

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  3. हमारे देश के बच्चे अगर अपने माता -पिता से उनकी आमदनी के स्रोत के बारे में पूछने लगें और अपने अभिभावकों की उन गाड़ियों में यात्रा करने से इंकार कर दें, जो अवैध कमाई के डीजल-पेट्रोल से चलती हैं , तो भ्रष्टाचार खत्म करने का यह एक अच्छा जरिया हो सकता है.

    कलम साहब से सभी सुझाव बेजोड़ हैं . उनकी पुस्तके भी सुझाव ही होती है . वे बच्चो को नए सांचे में हमेशा ढालने का प्रयास करते हैं.

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  4. पिछले कुछ समय से हमारे देश में भ्रस्टाचार के खिलाफ वातावरण बनता दिखाई दे रहा है .कलाम जी जैसे कुछ
    और लोग भी इस काम में लगे हुए है /आने वाले दिनों में कुछ सकारात्मक परिणाम दिखेंगे
    . शिवा मोहंती

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  5. कलाम साहब को जन्मदिन की शुभकामनाएँ!
    --
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  6. प्रेरक व्यक्तित्व को सलाम!

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  7. पूर्व राष्ट्रपति महोदय ने एक ऐसा गंभीर सुझाव दिया है जिस पर अगर अमल होता है तो भ्रष्टाचार से भारत को कुछ राहत ज़रूर मिलेगी

    कलाम साहब को सलाम!

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