कुछ हसरतें हैं दिल में ,कुछ ख्वाहिश की रात है
तुमको भला बताएं क्या , बारिश की रात है !
तुमको भला बताएं क्या , बारिश की रात है !
मेरी नहीं,तेरी भी नहीं , इसकी नहीं, न उसकी
सितारों से झिलमिल चूनर में किसकी रात है !
कुछ दीवानगी में कट रहे , कुछ वीरानगी में पल ,
कहीं दिन हैं दीवानों के , लावारिस की रात है !
रौशन हो किसी की जिंदगी भी यहाँ किस तरह ,
हाथों में अपने भीगी हुई माचिस की रात है !
दो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
नमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है !
हमसफ़र न जाओ छोड़ के सपनों को अधूरा ,
आज तुम्हारे दर पे सुनो , गुजारिश की रात है !
- स्वराज्य करुण
दो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम,
ReplyDeleteनमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है!
बहुत खूब संसार के नजारे है,
कहीं खुशियाँ कहीं आंसू खारे हैं।
kya bat!!!!!!badhiya prastuti
ReplyDeleteदो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
ReplyDeleteनमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है !
अच्छी प्रस्तुति
दो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
ReplyDeleteनमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है !
bahut sateek bhavabhiyakti.
वाह बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति।
ReplyDeleteदो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
ReplyDeleteनमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है
बहुत उम्दा गज़ल.....
सादर...
बहुत सुन्दर ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने!
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ,बधाई !
ReplyDeleteदो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
ReplyDeleteनमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है !
कही जगामगती रोशनियों में जश्न मानते लोग
कही फूटपाथ पर कोने में सिकुड़ते लोग है ...
एक बहुत बड़ी खाई है एक इंसान और दूसरे इंसान के बीच !
बेहतरीन !
अच्छी रचना ,बधाई
ReplyDeleteरौशन हो किसी की जिंदगी भी यहाँ किस तरह ,
ReplyDeleteहाथों में अपने भीगी हुई माचिस की रात है !
दो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
नमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है !
behu khubsurti se ukera hai aapne apne jajbat ko...jo khi na kahi hamare zivan ka ek hissa hai....badhai
दो वक्त की रोटी के लिए बेस्वाद गुजरता मौसम ,
ReplyDeleteनमकीन ,कहीं काजू ,कहीं किशमिश की रात है !
समसामयिक विमर्श करती कविता के लिए हार्दिक बधाई...
बहुत उम्दा गज़ल....
ReplyDeleteप्रभावी अभिव्यक्ति .......
ReplyDelete