-- स्वराज्य करुण
राम तो हर युग में
शाश्वत और अजर-अमर हैं
लेकिन रावण का पुनर्जन्म
लगता है इस घोर
कलियुग का असर है /
भारत माता के धन-वैभव की
सीता का अपहरण कर
स्विस -बैंकों के सोने की लंका में
कैद कर लिया जिसने
देश की संसद में
अट्टहास करता है
आज का वह रावण ,
तभी तो अब हर दिन आँसू
बहाती है मेरे देश की धरती पावन /
बर्दाश्त नहीं हुई जब
जननी -जन्म -भूमि की वेदना
राम के साथ जाग उठी लाखों -लाख
भारतवासियों की संवेदना /
सहा नहीं गया जब
स्विस-बैंक में बंधक
सीता का क्रन्दन
राम की सेना में शामिल हुआ
देश का जन-जन /
आज का रावण चूंकि लंका में नहीं
दिल्ली में राज करता है ,
इसलिए उसके खिलाफ राम-भक्तों का
गुस्सा वहाँ की सड़कों पर
हुंकार भरता है /
रामलीला के मैदान में
उस दिन भी यह कोई
नाटक नहीं था ,सच्चाई थी
रावणों से देश को बचाओ ,
सीता को स्विस-बैंक की
जंजीरों से छुड़ाओ ,
आवाज़ यह देश के
कोने-कोने से आयी थी /
राम और रावण के बीच
यह एक और बड़ी लड़ाई थी /
राम की निहत्थी सेना
सत्य ,अहिंसा और नैतिकता के
हथियारों से सुसज्जित थी ,
जबकि रावण की सेना के
कायरता पूर्ण हमलों से
मानवता लज्जित थी /
रामदेव को और राम के देवों को
रावण और रावण के दानवों ने
कर लिया गिरफ्तार रातों-रात ,
देश की इज्जत पर किया
बेरहमी से बार-बार आघात /
दिल्ली के सिंहासन का
सुख भोग रहे रावण
सत्ता के नशे में शायद
यह भूल गए कि यह राम का देश है /
सीता मैय्या की मुक्ति के लिए
प्राण देने को तत्पर
यहाँ राम की सेना अनंत और अशेष है /
कलियुग के रावणों !
याद नहीं त्रेता युग का
अपना इतिहास
तो पढ़ लो ध्यान से फिर एक बार /
चाहे जितना भी कर लो जोर-ज़ुल्म ,
तुम हारोगे बार-बार /
फिर तुम्हारी यह सोने की लंका
किस काम की होगी ?
अंतिम विजय तो राम की होगी !
स्वराज्य करुण
(तस्वीर google से साभार )
जो इतिहास से सबक नहीं लेते वे मुर्ख ही होते हैं।
ReplyDeleteयस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम्।
ReplyDeleteलोचनाभ्याम् विहीनस्य दर्पण: किम करिष्यति।।
इतिहास अपने को दोहराता है ..शायद अब समय आ गया है दोहराने का ..
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