आषाढ़ के बादलों ने
दिखायी इतनी कंजूसी,
इस बार नज़र नहीं आयी
मानसून के आने पर
होती थी जो हँसी-खुशी /
किसान रह गए तड़फ कर ,
धरती रह गयी तरस कर ,
आषाढ़ के बादल आधे-अधूरे मन से
यूं ही चले गए
बूंदा-बांदी से बरस कर /
अब सावन के बादल तुम आए ,
तुमसे है कुछ उम्मीद हमें ,
नेह-नीर की बौछार करो तो
सूखे का यह दौर थमे /
ओ सावन के बादल भाई !
खेतों की पीड़ा को दिल ही दिल में
करो महसूस ,
अगर नहीं तो हम किसान
गिरवी रख अपने खलिहान,
दे सकते हैं तुमको घूस /
बताओ कितने रुपये लोगे ,
बदले में पानी कितना दोगे ?
इन्द्रदेव के दूत हो तुम
पूछ लो उनसे कितना बनता है
उनका भी नज़राना
इस कलियुग में बिन रिश्वत के
बहुत कठिन है काम करवाना /
तुम्हारे हाथों भिजवा देंगे
उनका भी हिस्सा ,
नहीं कहेंगे दुनिया को
हम इस रिश्वत का किस्सा /
नोट के बदले वोट जो देते
हम हैं वो हिन्दुस्तानी ,
हमें पता है काम बनाने
चाहिए सबको खर्चा-पानी /
हमको काम करवाना है अपना
जल्दी -जल्दी कर दो ,
ओ सावन के बादल प्यारे ,
ये लो गांधी छाप नोट और
बरसा कर अपनी अनुकम्पा
खेतों में पानी भर दो /
- स्वराज्य करुण
दिखायी इतनी कंजूसी,
इस बार नज़र नहीं आयी
मानसून के आने पर
होती थी जो हँसी-खुशी /
किसान रह गए तड़फ कर ,
धरती रह गयी तरस कर ,
आषाढ़ के बादल आधे-अधूरे मन से
यूं ही चले गए
बूंदा-बांदी से बरस कर /
अब सावन के बादल तुम आए ,
तुमसे है कुछ उम्मीद हमें ,
नेह-नीर की बौछार करो तो
सूखे का यह दौर थमे /
ओ सावन के बादल भाई !
खेतों की पीड़ा को दिल ही दिल में
करो महसूस ,
अगर नहीं तो हम किसान
गिरवी रख अपने खलिहान,
दे सकते हैं तुमको घूस /
बताओ कितने रुपये लोगे ,
बदले में पानी कितना दोगे ?
इन्द्रदेव के दूत हो तुम
पूछ लो उनसे कितना बनता है
उनका भी नज़राना
इस कलियुग में बिन रिश्वत के
बहुत कठिन है काम करवाना /
तुम्हारे हाथों भिजवा देंगे
उनका भी हिस्सा ,
नहीं कहेंगे दुनिया को
हम इस रिश्वत का किस्सा /
नोट के बदले वोट जो देते
हम हैं वो हिन्दुस्तानी ,
हमें पता है काम बनाने
चाहिए सबको खर्चा-पानी /
हमको काम करवाना है अपना
जल्दी -जल्दी कर दो ,
ओ सावन के बादल प्यारे ,
ये लो गांधी छाप नोट और
बरसा कर अपनी अनुकम्पा
खेतों में पानी भर दो /
- स्वराज्य करुण
सटीक कटाक्ष ...अब प्रकृति को भी घूस खिलाने की तैयारी ...शायद रिश्वत देते देते यह मान बैठे हैं की सब काम पैसा खिलाने से हो जाता है
ReplyDeleteआज 03- 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
vah keya lek hai
ReplyDeleteबेहतरीन कटाक्ष्।
ReplyDeletewaah kya baat hai rachna me jabardast flow ke sath apni baat ko prabhavi dhang se kahne ki kala me mahir hain aap. bahut acchha kataaksh kiya hai.
ReplyDeleteaabhar.
हमें पता है काम बनाने
ReplyDeleteचाहिए सबको खर्चा-पानी...
जोरदार व्यंग्य...
सादर..
सटीक व्यंग्य. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है , कृपया पधारें
ReplyDeleteचर्चा मंच
i own a photography website, which a global exposure for all the artist, we publish the best work of the artists, I liked your photography, and i would love to publish your photography work as well.
ReplyDeleteyou can check the website, and the art work shared by other artists.
http://www.catchmypost.com/
Hi I really liked your blog.
ReplyDeleteI own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
We publish the best Content, under the writers name.
I really liked the quality of your content. and we would love to publish your content as well. All of your content would be published under your name, so that you can get all the credit for the content. For better understanding,
You can Check the Hindi Corner of our website and the content shared by different writers and poets.
http://www.catchmypost.com
and kindly reply on ojaswi_kaushal@catchmypost.com
achha vyang hai sir ji
ReplyDelete