चाहे विदेशी बैंकों में हों ,
- स्वराज्य करुण
चाहे देश के भीतर ,
काले धन के धंधेबाज
कब होंगे तितर-बितर ?
धनतेरस में धन के देवता,
तुमसे यही गुजारिश ,
काला धन वापस आ जाए ,
हम सबकी यही सिफारिश !
दो नम्बर की दौलत बोलो
कैसे नम्बर एक बने ,
नीयत कैसे बदले उनकी
कैसे ये सब नेक बनें ?
उजाड़ कर गरीबों का घर
जो बनाएँ अपनी हवेली ,
कुछ न बिगड़ता उनका ,
जाने ये कैसी है पहेली ?
उजाड़ कर गरीबों का घर
जो बनाएँ अपनी हवेली ,
कुछ न बिगड़ता उनका ,
जाने ये कैसी है पहेली ?
लूट रहे जो यहाँ देश को
मान के घर की खेती ,
समझाओ उनको जो भरते
हर दिन अपनी पेटी !
धनतेरस में धन के देवता
धनतेरस में धन के देवता
दे दो उनको सदबुद्धि ,
देश हित में काम करें
आचरण में आए शुद्धि !
- स्वराज्य करुण
धनतेरस के देवता से तो यही प्रार्थना होगी कि वंचितों पर भी धन बरसाएं.
ReplyDeleteकल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
ReplyDeleteअपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
हे धन के देवता! कुछ धन इधर भी बरसाओ।
ReplyDeleteसूखी पड़ी है खेती, तनिक उसे भी सरसाओ॥
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
मातर की शुभकामनाएं, मातने के बाद मिलेगीं।:)
दीवाली मनाओ-बेटी बचाओ.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
सटीक और सार्थक आलेख ..
ReplyDelete.. आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं !!
bahut saarthak sateek likha hai.happy diwali.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपको दीप पर्व की सपरिवार सादर बधाईयाँ....