किसी देश की सरकार
चलाने वाले
एक नेताजी ने
किया देश की जनता का आव्हान -
"तांडव मचाते
भ्रष्टाचार के दानव से
हम सब हैं परेशान ,
भ्रष्टाचार के रावण का ,
भ्रष्टाचार के कंस का ,
भ्रष्टाचार के दुर्योधन का
आओ सब मिल कर
करें काम तमाम ! ''
नेताजी के आव्हान पर
देखते ही देखते
सड़क से संसद तक
मच गया संग्राम !
देशवासियों ने अपने नेता सहित
एक -दूसरे को मार गिराया ,
देश भर में छा गया
सन्नाटे का साया !
- स्वराज्य करुण
(व्यंग्य रेखा चित्र google से साभार )
- स्वराज्य करुण
(व्यंग्य रेखा चित्र google से साभार )
खत्म हो गया काम,न नेता रहा न अवाम।
ReplyDeleteकविता की ईमानदारी स्तब्ध करती है!
ReplyDeleteयही हो रहा है।
ReplyDeleteउस देश में कोई अछूता नहीं रहा होगा इस पाप से .
ReplyDeleteअच्छी परिभाषा दी है आपने नेता की। एक नेता से समाजवाद की परिभाषा पूछी,ले उन्होंने बताया पहले हम समाज बाद में।
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
लो राम राज्य आया.....
ReplyDeleteसादर....
यथार्थ वर्णन...गुंडे ज्यादा हैं...मातम का सन्नाटा ही अपेक्षित है।
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