Friday, February 28, 2025
पुस्तक चर्चा ; अतीत से वर्तमान तक एक शहर की निरंतर जारी यात्रा ; रायपुर
(आलेख ; स्वराज करुण )
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दुनिया के प्रत्येक गाँव, प्रत्येक शहर, प्रत्येक राज्य और प्रत्येक देश का अपना इतिहास होता है. भारत के प्रमुख राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का भी अपना इतिहास है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास से अलग नहीं है.
लेखक आशीष सिंह ने 'रायपुर ' शीर्षक से प्रकाशित 194 पेज की किताब में रायपुर शहर के इतिहास को अपनी धारा प्रवाह लेखन शैली में बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है. उन्होंने इस शहर के वर्ष 1867-68 के नक्शे और यहाँ के वरिष्ठ गीतकार Rameshwar Sharma की कविता 'रायपुर महिमा ' से की है. नक्शे में 158 साल पहले के रायपुर के नागरिक क्षेत्रों और सैन्य छावनी के क्षेत्र भी दर्शाए गए हैं.यह पुस्तक रायपुर के सुदूर अतीत से लेकर उसके वर्तमान स्वरूप तक की झाँकियाँ प्रदर्शित करती है. आशीष ने वर्ष 1987 में 'रायपुर नगर का इतिहास ' शीर्षक से एक लघु शोध -प्रबंध लिखा था. उन्होंने इसे पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के M. A. (इतिहास ) के चतुर्थ प्रश्नपत्र के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया था.
अपनी नई किताब 'रायपुर ' के प्राक्कथन में आशीष सिंह ने लिखा है -- "रायपुर का अपना इतिहास रहा है. लगभग एक हजार वर्ष पूर्व का हमें विवरण ज्ञात हो सकता है. रायपुर के राजाओं की वंशावली तो ज्ञात हो जाती है, किन्तु उनके कार्यकाल की किसी विशेष घटना का विवरण नहीं मिलता.".....फिर भी लेखक ने जिस तरह गंभीरता से और मेहनत से विभिन्न ऐतिहासिक अभिलेखों को संकलित करने और उन्हें खंगालने का जो प्रयास किया है, वह निश्चित रूप से सराहनीय है. आशीष ने प्राक्कथन में आगे एक जगह लिखा है कि ' रायपुर' शुद्ध रूप से रायपुर का इतिहास है, ऐसा मैं नहीं कहता , किंतु इतिहास के बहुत करीब है, इतना कह सकता हूँ.
कुल 40 अध्यायों की इस पुस्तक की भूमिका छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ इतिहासकार Ram Kumar Behar ने लिखी है. छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम कोसल और दक्षिण कोसल भी रहा है. आशीष सिंह ने पुस्तक के प्रथम अध्याय में कोसल यानी छत्तीसगढ़ का सामान्य परिचय दिया है, जिसमें यहाँ के पौराणिक इतिहास से लेकर तत्कालीन भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति का भी उल्लेख है. उन्होंने इस अध्याय में 'छत्तीसगढ़ 'के नामकरण के ऐतिहासिक घटनाक्रमों का भी विवरण दिया है. दूसरे अध्याय में रायपुर नगर की ऐतिहासिकता, तीसरे अध्याय में 'मराठाकालीन रायपुर 'और चौथे अध्याय में 'ब्रिटिश कालीन रायपुर' पर प्रकाश डाला गया है.
पुस्तक के अगले अध्यायों में कई विवरण मिलते हैं. जैसे रायपुर शहर में 54 ऐतिहासिक तालाबों के विलुप्त होने की जानकारी उनकी सूची सहित दी गई है.
आशीष सिंह
अंग्रेजी राज के खिलाफ़ यहाँ हुए जन विद्रोह की घटनाओं का भी उल्लेख है.जिनमें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सोनाखान मेंlllवीर नारायण सिंह के नेतृत्व में हुए संघर्ष और उस संघर्ष के बाद 10 दिसम्बर 1857 को रायपुर में उन्हें दी गई फाँसी, फिर उनकी शहादत के बाद 18 जनवरी 1858 को रायपुर की ब्रिटिश सैन्य छावनी में सैनिक हनुमान सिंह के नेतृत्व में हुए विद्रोह, उनके द्वारj सिंडवेल की हत्या और इस घटना के बाद 22जनवरी 1858 को रायपुर में ही 17 भारतीय सिपाहियों को दी गई फाँसी की सजा का भी विवरण शामिल है.बाद के वर्षो में महात्मा गांधी, जैसे महान नेताओं के नेतृत्व में देश भर में चले अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों के दौरान रायपुर में हुई घटनाओं की जानकारी भी पुस्तक में दी गई है इसके अंतर्गत वर्ष 1920 के असहयोग आंदोलन, 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1932 के संग्राम, वर्ष 1942 में रायपुर में सशस्त्र क्रांति के प्रयास का विवरण भी पुस्तक में समाहित है. राष्ट्रीय आंदोलनों के उस दौर में महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे दिग्गज नेताओं के रायपुर प्रवास की यादगार घटनाओं को भी इसमें दर्ज किया गया है.महान दार्शनिक और समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद ने अपनी किशोरावस्था के कुछ वर्ष रायपुर में बिताए थे. स्वतंत्र भारत के दो बार कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे, तथा बाद में 25 फरवरी 1968 को भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस एम.हिदायतुल्लाह ने वर्ष 1922 में रायपुर के शासकीय स्कूल से मेट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी. आचार्य रजनीश, जिनका मूल नाम चन्द्रमोहन जैन था, वर्ष 1957 में रायपुर के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक थे. महान भाषाविद हरिनाथ डे ने भी मिडिल स्कूल तक शिक्षा रायपुर में प्राप्त की थी. ऐसी अनेक महत्वपूर्ण और दिलचस्प जानकारियाँ आशीष ने अपनी पुस्तक 'raypur' में संकलित की हैं.ग्यारहवाँ अध्याय 'गोवा मुक्ति संग्राम' शीर्षक से है. इसमें गोवा को पुर्तगाल से मुक्ति दिलाने के आंदोलन में छत्तीसगढ़ से भी कई सत्याग्रही सम्मिलित हुए थे, जिनमें प्रसिद्ध साहित्यकार हरि ठाकुर के साथ रामाधार तिवारी, केयूर भूषण (बाद में दो बार रायपुर से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए ) और नंदकुमार पाठक भी शामिल थे.
पुस्तक का बारहवाँ अध्याय छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए चले लम्बे आंदोलन पर केंद्रित है.आशीष सिंह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रायपुर की अनेक महान विभूतियों और शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता तथा सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वरिष्ठजनों का उल्लेख करना भी नहीं भूलते. पुस्तक में 'जिनसे रायपुर गौरवान्वित है ' शीर्षक बीसवें अध्याय में उन्होंने छत्तीसगढ़ के प्रथम पत्रकार पंडित माधव राव सप्रे, सहकारिता आंदोलन के प्रमुख नेता पंडित वामन राव लाखे,अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल, महान श्रमिक नेता, सहकारिता आंदोलन के अगुआ, रायपुर नगरपालिका के तीन बार निर्वाचित अध्यक्ष रहे त्याग मूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह, मौलाना रऊफ खान, संत यति यतन लाल, महंत लक्ष्मी नारायण दास, डॉ. खूबचंद बघेल, डॉ. राधाबाई, डॉ. बघेल की माता केकती बाई, डॉ.बघेल की पत्नी राजकुंवर, रोहिणी बाई, बेलाबाई और महा ग्रंथ 'गांधी मीमांसा 'के लेखक और साहित्य के समर्थ समालोचक पंडित रामदयाल तिवारी का परिचय काफी विस्तार से दिया है.देश की रक्षा के लिए सीमाओं पर शहीद हुए भारतीय सेना के अनेक वीरों में से रायपुर शहर के शहीदों का परिचय भी लेखक ने दिया है, जिनमें मेजर यशवंत गोरे,अरविन्द दीक्षित, अरुण सप्रे, राजीव पांडेय और लेफ्टिनेंट पंकज विक्रम शामिल हैं.
पुस्तक के 31वें अध्याय में उन महान दानवीरों का परिचय दिया गया है, जिनकी दानशीलता से शहर में कई बड़े संस्थान और उनके भंवन तैयार हुए. इनमें दाऊ कल्याण सिंह, दाऊ कामता प्रसाद अग्रवाल, पंडित नारायण प्रसाद अवस्थी, खुदादाद डुंगाजी, रामनारायण दीक्षित, नगर माता बिन्नी बाई शामिल हैं. पुस्तक का 32वाँ अध्याय चंबल के बागियों का आत्म समर्पण करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में जन्मे स्वाधीनता सेनानी पंडित रामानन्द दुबे को समर्पित है.रायपुर शहर की ऐतिहासिक इमारतों, यहाँ के प्राचीन तालाबों आदि का ब्यौरा भी अलग -अलग अध्यायों में है.
यह पुस्तक हरि ठाकुर स्मारक संस्थान के लिए मीडिया लिंक 413, सुन्दर नगर, रायपुर द्वारा स्वर्गीय श्री हरि ठाकुर के जन्म दिन 16अगस्त 2024 को प्रकाशित की गई है. हरि ठाकुर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, पत्रकार और छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं.पुस्तक 'रायपुर 'के लेखक आशीष सिंह उनके सुपुत्र हैं.
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