(आलेख : स्वराज करुण )
यह पहली बार है ,जब रूसी कविताओं का छत्तीसगढ़ी अनुवाद 'जइसे मोर हाथ म एक ठन पंछी' (जैसे मेरे हाथ में एक पंछी) शीर्षक से सामने आया है। अनुवादक हैं छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कवि भगतसिंह सोनी ,जो हिन्दी और छत्तीसगढ़ी नई कविताओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उन्होंने हिन्दी में प्रकाशित इन आधुनिक रूसी कविताओं को छत्तीसगढ़ी भाषा में सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है । इस अनुवाद संकलन में 20 कवियों की रचनाएं शामिल हैं । यह संकलन पिछले साल( 2021) में प्रकाशित हुआ है। तब कोरोना काल चल रहा था। पुस्तक की शुरुआत करते हुए अनुवादक ने अपनी भूमिका में इसे ' लॉक डाउन में किए गए अनुवाद कर्म ' के रूप में पेश किया है।
इतना ही नहीं ,बल्कि भगत सिंह सोनी ने अन्य 20 देशों के 27 विदेशी कवियों की कविताओं का भी छत्तीसगढ़ी में अनुवाद किया है।वर्ष 2017 में प्रकाशित इस अनुवाद संकलन का शीर्षक है --'एक देस अउ एक्के घर के हम सब्बो ' यानी एक देश और एक ही घर के हम सब । यह शीर्षक ही हमें 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन भारतीय आदर्श की याद दिलाता है। इसमें निकारागुआ, ग्रीस ,स्पेन ,पोलैंड ,ऑस्ट्रिया ,मैक्सिको ,चिली ,दक्षिण कोरिया ,डेनमार्क ,अर्जेंटीना, इंग्लैंड, यूगोस्लाविया, स्वीडन ,वियतनामअमेरिका,कनाडा ,ईरान ,तुर्की,फिलिस्तीन और चीन के कवियों की रचनाओं का पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद हुआ है। संकलन में फिलिस्तीन के चार और अमेरिका,वियतनाम, मैक्सिको और ग्रीस के दो -दो कवियों और बाकी देशों के एक -एक कवि का समावेश है। इनमें से फिलिस्तीनी कवियों में महमूद दरवेश ,जकरिया मोहम्मद ,मुरीद अल बरघौटी और हसन जकतन, मैक्सिको के कवियों में ऑक्टोवियो पॉज और खाइमे साबिनेस, वियतनामी कवियों में तोहू और थिकनाताहान और अमेरिकी कवियों में बाल्टहिटमैन शामिल हैं। अनुवाद संग्रह 'जइसे मोर हाथ म एक ठन पंछी 'में जिन 20 रूसी कवियों की रचनाओं के छत्तीसगढ़ी अनुवाद हैं उनके नाम हैं -- अलेक्सांद्र ब्लोक ,ब्लादीमिर मायकोव्स्की, मरीना तवेतायेवा ,बोरिस पस्टेरनाक ,वेलेमीर रुलेबनिकोव, सामुइल मरसाक, अन्ना अरूमातौवा ,सर्गेई येसेनिन,सामुइल गालकिन, निकोलाई रीलेनकोव, मक्सिमतांक, अकार्डी कुलेसोव ,जुल्फ़िया ,मर्गारीता अलिगेर ,सर्गेई स्मिरनोव,मिखाइल द्यूदिन , येवगेनी यवतुसेंको,अंद्रेई वोज्नेसेन्सकी ,कासिइन कुलियेव और रसूल गम्ज़ातोव ।
सोनी जी ने गजानन माधव मुक्तिबोध की लम्बी और चर्चित कविता -'अंधेरे में' को भी छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रस्तुत किया है ,जो वर्ष 2018 में 'अंधियार म' शीर्षक से पुस्तक रूप में छपकर आ गयी है। आधुनिक हिन्दी कविताओं के अनेक जाने माने रचनाकारों की कविताओं का छत्तीसगढ़ी अनुवाद भी सोनीजी ने किया है । यह अनुवाद संकलन 'गरमी के दुःख म फ़ूलथे अमलतास 'शीर्षक से कुछ वर्ष पहले छप चुका है। इन चारों अनुवाद संकलनों पर विस्तार से अलग -अलग चर्चा फिर कभी।इसके अलावा 'जुन्ना घर ' उनकी स्वयं की छत्तीसगढ़ी कविताओं का संकलन है।
भगतसिंह सोनी लगभग 56 वर्षों से हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं में काव्य साधना में लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी हैं। रायपुर में ही उनका जन्म 25 सितम्बर 1947 को हुआ था। वह देना बैंक के सेवानिवृत्त शाखा प्रबंधक हैं। उनका लेखन वर्ष 1966 से अनवरत चल रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा में अतुकांत कविताओं की शुरुआत करने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है।उनके द्वारा रचित 'रँहचुली 'को छत्तीसगढ़ी की पहली अतुकांत कविता माना जाता है।यह एक लम्बी कविता है।
उनके तीन हिन्दी काव्य संग्रह हैं - (1)नहीं बनना चाहता था कवि और (2)पृथ्वी से क्या कहेंगे और (3) अंतसकारा। इनमें से 'नहीं बनना चाहता था कवि ' के लिए उन्हें मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वर्ष 1995 में वागीश्वरी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।भगतसिंह सोनी की कविताएँ हिन्दी की अनेक साहित्यिक पत्र -पत्रिकाओं में छपती रही हैं। विशेष रूप से अस्सी के दशक में लघु पत्रिका आंदोलन के दौरान । वह स्वयं वर्ष 1980 से 82 तक 'जारी ' नामक अनियतकालीन लघु पत्रिका भी प्रकाशित करते रहे हैं। आलेख -- स्वराज करुण
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