Thursday, August 29, 2019

(व्यंग्य) माटी -पुत्र , डामर -पुत्र या सीमेंट -पुत्र ?

                             - स्वराज करुण            
   क्या शब्द अपनी भावनाओं को खो चुके हैं ?  कुछ दशक पहले तक  अगर किसी मंच से किसी को 'माटी पुत्र ' या 'माटी के लाल' कहकर संबोधित किया जाता था ,तो ये शब्द  श्रोताओं की संवेदनाओं को छू जाते थे ,लेकिन आज के समय में  इन भावनात्मक शब्दों से किसी की तारीफ की जाए तो सुनने वालों को हँसी आती है  और उन पर इन लफ्जों का  कोई असर नहीं होता ,बल्कि ये लफ्ज़ महज लफ्फाजी की तरह लगते हैं ..
       इसकी एक ख़ास वजह मेरे ख़याल से ये है कि आज इस धरती पर माटी खत्म होती जा रही है  माटी की छाती पर सीमेंट और डामर की मोटी-पतली चादरें बिछ रही हैं .समय के भारी-भरकम पांवों से माटी की ममता को रौंदा जा रहा है ! खेतों में भी सीमेंट-कांक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं .माटी के घड़ों और माटी के बर्तनों  का स्थान क्रमशः वाटर-कूलरों और स्टेनलेस स्टील के घड़ोंऔर बर्तनों  ने ले लिया है . हम लोग बचपन में गाँवों की धूल-माटी में ही पले-बढ़े हैं ,लेकिन आज के बच्चे तो सीमेंट -कांक्रीट की बस्तियों में बड़े हो रहे हैं . माटी की ममता उन्हें छू भी नहीं पा रही है .हर तरफ सीमेंट की या डामर की सडकें , हर तरफ सीमेंट कांक्रीट के मकान !             पहले मिट्टी के मकानों में गोबर से लिपा-पुता माटी का ही आँगन होता था !  ये मकानऔर  आंगन प्राकृतिक रूप से  काफी सुकून देते थे.  अब सीमेंट के मकानों में होता है सीमेंट का आँगन ,जो गर्मियों में अपनी आंच से तन-मन को झुलसाने लगता है     . 
        तो अब माटी है कहाँ ? किसी इंसान को 'माटी पुत्र' या 'माटी पुत्री' या 'माटी के लाल' कहना तो दूर ,उसे 'माटी का पुतला' या 'माटी की पुतली' भी कहना उचित नहीं होगा . मेरे विचार से तो अगर किसी के दिल में किसी शख्स के लिए कुछ ज्यादा ही श्रद्धा या भक्ति हो तो वह उसे  सीमेंट-पुत्र ,सीमेंट-पुत्री ,डामर पुत्र , डामर-पुत्री , सीमेंट के लाल या डामर के लाल कहकर सम्बोधित और सम्मानित कर सकता है !
                             --   स्वराज करुण

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-08-2019) को "चार कदम की दूरी" (चर्चा अंक- 3443) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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