चोर-चोर सब मौसेरे भाई
भ्रष्टाचार की खूब कमाई .!
गज़ब एकता उनमे होती ,
मिलकर खाते खीर मलाई !
खिलाफ उनके जो कोई बोले,
सब मिल उस पर करें चढाई !
कमाऊ पूत -सा भ्रष्टाचारी
अफसर, नेता घर जंवाई !
चोरों के इस चक्रव्यूह में
अभिमन्यु ने जान गंवाई !
-- स्वराज्य करुण
भ्रष्टाचार की खूब कमाई .!
गज़ब एकता उनमे होती ,
मिलकर खाते खीर मलाई !
खिलाफ उनके जो कोई बोले,
सब मिल उस पर करें चढाई !
कमाऊ पूत -सा भ्रष्टाचारी
अफसर, नेता घर जंवाई !
चोरों के इस चक्रव्यूह में
अभिमन्यु ने जान गंवाई !
-- स्वराज्य करुण
वाह, बहुत सटीक रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteकुलदीपजी आपको बहुत -बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteकुलदीपजी ,धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 04 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना...
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो।
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...