एक अनबूझी पहेली,
कैसे बनती है हवेली!
झोपड़ी की आँखों में
प्रश्न ही प्रश्न हैं
महलों में उनके बस
जश्न ही जश्न है !
लूट की दौलत ही
उनकी है सहेली !
तरक्की में उनकी तो
रिश्वत की ताकत है !
कहता है कौन कहो
किसकी हिमाकत है !
सवालों की अनुगूंज
रह गयी अकेली !
-स्वराज्य करुण
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