Saturday, December 10, 2022

(आलेख) अभिनंदन का हक़दार है बिलासपुर शहर

          ( आलेख : स्वराज्य करुण )

अपने पूर्वज साहित्यकारों को याद रखने वाला शहर   निश्चित रूप से सराहना और अभिनंदन का हक़दार होता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में एक मुख्य सड़क का नामकरण छत्तीसगढ़ी और हिंदी के वरिष्ठ कवि  स्वर्गीय पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी के नाम पर किया जाना स्थानीय जनता के साथ -साथ प्रदेश की साहित्यिक बिरादरी के लिए भी गर्व की बात है। बिलासपुर में आधुनिक हिंदी कविता के सुपरिचित हस्ताक्षर श्रीकांत वर्मा के नाम पर भी एक सड़क है और अज्ञेय जी के नाम पर अज्ञेय नगर भी। वहाँ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ कवि पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' के नाम पर विप्र महाविद्यालय भी संचालित हो रहा है।

                            


                                                             (फोटो : स्वराज्य करुण )

उस दिन संक्षिप्त प्रवास के दौरान बिलासपुर में  यह देखकर मुझे आत्मिक खुशी हुई कि वहाँ का स्मार्ट रोड अब 'पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी स्मार्ट रोड'के नाम से पहचाना जा रहा है। पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी को भारत सरकार ने 2 अप्रैल 2018 को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने उन्हें इस अलंकरण से नवाज़ा था। पंडित चतुर्वेदी का जन्म 2 फरवरी 1926 को ग्राम कोटमी (तत्कालीन जिला-बिलासपुर)में और निधन 7 दिसम्बर 2018 को अपने गृहनगर बिलासपुर में हुआ था। उन्होंने लगभग 93 वर्ष की अपनी जीवन यात्रा के 77 साल साहित्य को और 70 साल पत्रकारिता को समर्पित कर दिए। वह वर्ष 2008 से 2013 तक छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष भी रहे। उनकी प्रमुख पुस्तकों में छत्तीसगढ़ी कविता-संग्रह 'पर्रा भर लाई' और कहानी संग्रह 'भोलवा भोलाराम बनिस' उल्लेखनीय है। 

छत्तीसगढ़  में अपने साहित्यकारों से जुड़ी स्मृतियों को सहेज कर रखने की एक अच्छी परम्परा है।   जिला मुख्यालय रायगढ़ में सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंडित लोचनप्रसाद पांडेय और पद्मश्री मुकुटधर पांडेय के नाम पर गृह निर्माण मंडल की दो कॉलोनियों का नामकरण मध्यप्रदेश के ज़माने में हो चुका था। रायगढ़ दोनों पांडेय बंधुओं का कर्मक्षेत्र और गृहनगर रहा है।  वहाँ  संस्कृत ,ओड़िया और हिंदी के विद्वान कवि पंडित चिरंजीव दास के नाम पर भी एक सड़क का नामकरण लगभग दो-ढाई दशक पहले हो चुका है ,जो रायगढ़ के ही रहने वाले थे। इसी तरह लगभग दो वर्ष पहले जगदलपुर के शासकीय जिला ग्रंथालय का नामकरण साहित्य मनीषी लाला जगदलपुरी के नाम पर  किया जा चुका है। 

    राजनांदगांव में हिंदी के तीन ख्यातनाम साहित्यकारों - डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी ,गजानन माधव मुक्तिबोध और डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र के नाम पर त्रिवेणी संग्रहालय परिसर बनाया गया है। राजनांदगांव इन तीनों साहित्यिक दिग्गजों  का कर्मक्षेत्र रहा है। बख़्शीजी के नाम पर भिलाई नगर में बख़्शी सृजन पीठ का संचालन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा  प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार पण्डित सुन्दरलाल शर्मा , माधवराव सप्रे , डॉ. खूबचन्द बघेल , लाला जगदलपुरी और लक्ष्मण मस्तुरिया के नाम पर राज्य सम्मानों की भी स्थापना की गयी है। कई शिक्षण संस्थान भी प्रदेश के अनेक दिवंगत साहित्यकारों के नाम पर कई वर्षों से संचालित हो रहे हैं। फोटो एवं आलेख : स्वराज्य करुण 



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