Saturday, October 1, 2022

(आलेख) देश -प्रदेश की सैर के लिए घुमक्कड़ जंक्शन में आइए

                                 (आलेख -- स्वराज्य करुण )

अगर आप अपने देश और प्रदेश के अल्पज्ञात और अज्ञात लेकिन दर्शनीय स्थलों की सैर करना चाहते हैं , लोक जीवन और लोक संस्कृति को नज़दीक से देखना ,समझना चाहते हैं , तो घुमक्कड़ जंक्शन में आइए ,जहाँ 2022 की  स्मारिका की ट्रेन आपको इस दिलचस्प यात्रा पर ले जाएगी। विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के  वरिष्ठ ब्लॉगर एवं इंडोलॉजिस्ट ललित शर्मा (Kumar Lalit )द्वारा सम्पादित इस  वार्षिक स्मारिका में मेरा भी एक आलेख प्रकाशित हुआ है ,जो  छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में महानदी के तटवर्ती और ओड़िशा प्रांत के सीमावर्ती  पुसौर कस्बे की डेढ़ सौ साल पुरानी रामलीला के बारे में है। यह स्मारिका छत्तीसगढ़ सहित देश के कुछ अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में विभिन्न क्षेत्रों के लेखकों के सुरुचिपूर्ण आलेखों से सुसज्जित है।  छत्तीसगढ़ के भाटापारा शहर से 15 किलोमीटर पर शिवनाथ नदी में स्थित मांडूक्य द्वीप के बारे में श्रीमती श्रुति प्रिया शर्मा ने अपने आलेख में महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियाँ दी हैं। इस द्वीप को बोलचाल में मदकू द्वीप भी कहा जाता है।

                                              





                                                                           



क्या आपने सुना है कि देश में कहीं मानसून का भी मन्दिर है ? जी हाँ , भगवान जगन्नाथ जी का यह मंदिर उत्तरप्रदेश में कानपुर शहर से 35 किलोमीटर पर ग्राम बेहेटा बुजुर्ग में स्थित है। इस मंदिर का शिल्प जगन्नाथ जी के पारम्परिक मंदिरों से कुछ अलग है। दिल्ली के निरुपम शर्मा ने अपने आलेख में जानकारी दी है कि विश्व का यह इकलौता जगन्नाथ मंदिर है जो रथ के आकार का है और  यह पद्मकोश रूप में निर्मित है। इसके शिखर पर स्थापित शिला , वर्षा का पूर्वानुमान देती है। यहाँ तक कि बारिश कब होगी और संभावित बारिश की मात्रा की पूर्व सूचना भी इस शिला खण्ड से मिलती है।स्मारिका के सम्पादक ललित शर्मा  स्वयं एक घुमक्कड़ लेखक हैं और अपने  जिज्ञासु स्वभाव की वजह से देश का भ्रमण करते रहते हैं। उन्होंने स्मारिका में ' आओ लौट चलें गाँवों की ओर 'शीर्षक अपने आलेख में घुमक्कड़ी को जीवन की चलती -फिरती पाठशाला' के रूप में परिभाषित किया है। स्मारिका की कव्हर स्टोरी में उन्होंने छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विविध आयामों पर प्रकाश डाला है।उनका एक अन्य  आलेख गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर तहसील के एक ऐसे गाँव को लेकर है ,जिसे जनश्रुतियों के अनुसार देवताओं ने उजाड़ दिया था।  यह गाँव चंदली पहाड़ी पर बसा हुआ था । इसका नाम टेंवारी था , जो अब वीरान है ,लेकिन वहाँ पर एक शिव मंदिर है। 

  गरियाबंद जिले के अमलीपदर गाँव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में डॉ. संध्या शर्मा के आलेख में कई रोचक तथ्य आपको मिलेंगे। वहीं डॉ. पीसीलाल यादव के आलेख में  राजनांदगांव से 70 किलोमीटर पर स्थित उनके  गृह ग्राम (अब नगर पंचायत)गंडई के इतिहास की जानकारी मिलती है। डॉ. यादव के अनुसार अंग्रेजों के आने के पहले गंडई का प्राचीन नाम 'गंगई' था ,जो उनके उच्चारण दोष की वजह से गंडई हो गया।  स्मारिका में ललित भाई  अपने एक आलेख में हमें उत्तराखंड की एक पहाड़ी के शिखर पर स्थित ग्राम बासुरी की भी सैर कराते हैं। खरगोन (मध्यप्रदेश)के नवग्रह मंदिर के बारे में इंदौर की कविता शर्मा ,भटगांव(छत्तीसगढ़)की ग्राम देवी के बारे में ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ,सरगुजा के वनवासियों की वर्तमान जीवन शैली के बारे में जयेश वर्मा ,राजनांदगांव जिले के ग्राम जामरी के ऐतिहासिक महत्व पर दीनदयाल साहू के आलेख भी पठनीय हैं। कवर्धा के घुमक्कड़ फोटोग्राफर और पत्रकार गोपी सोनी ने छत्तीसगढ़ के कवर्धा और मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिलों के सरहदी इलाकों में निवासरत बैगा जनजाति के युवाओं में प्रचलित गन्धर्व विवाह के बारे में लिखा है। उनके आलेख के अनुसार उस क्षेत्र के एक गाँव में मंडई के दौरान युवा पान खिलाकर एक दूसरे के जीवन साथी का चुनाव कर लेते हैं।रंग बिरंगे चित्रों के साथ आकर्षक कलेवर की इस  स्मारिका में ऐसे और भी कई दिलचस्प आलेख हैं।  - स्वराज्य करुण 

1 comment: